एक ही लाठी से न हांके सरकार

AYUSH ANTIMA
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आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने सरकारी स्वास्थ्य स्कीम आरजीएचएस में कथित अनियमितता को लेकर सवाल उठाए थे। यह मामला राजगढ़ के विधायक मनोज न्यांगली की माताजी का जयपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए मना करने से प्रकाश में आया। प्राइवेट अस्पताल से यह कहकर मना कर दिया कि सरकार उनके बकाया पैसों का भुगतान नहीं कर रही है। विधायक ने इसको लेकर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिखकर अवगत करवाया तो भुगतान न करने का कारण प्राइवेट अस्पतालों द्वारा फर्जीवाड़ा करने के मामले प्रकाश में आये। इसको लेकर सरकार हरकत में आई और फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पतालों की जांच की व झुन्झुनू जिले के भी कुछ प्राइवेट अस्पतालों व मेडिकल स्टोर को इस स्कीम से वंचित कर दिया था। सूत्रों की मानें तो सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों का करीब 900 करोड़ रूपये का भुगतान रोक रखा है। इसको लेकर प्राइवेट अस्पतालों की एसोसिएशन ने आगामी 15 जुलाई से सरकारी कर्मियों, पेंशनरों व उनके परिजनों का आरजीएचएस स्कीम के तहत ईलाज नहीं करने का निर्णय लिया है। एसोशिएशन का कहना है कि जो अस्पताल फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, उन पर सरकार कार्रवाई करें, इसमें कोई ऐतराज नहीं परन्तु ईमानदार अस्पतालों का भुगतान क्यों रोक रखा है। विदित हो इस स्कीम के तहत ईलाज करवाने वाले पात्र व्यक्तियों की संख्या करीब 38 लाख है। यदि यह संख्या इलाज़ करवाने से वंचित होती है तो भजन लाल शर्मा सरकार की छवि निश्चित रूप से धुमिल होगी। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को चाहिए कि इस मामले को अफ़सरशाही पर न छोड़कर खुद इसको देखें। यहां एक बात का उल्लेख करना जरूरी हो जाता है कि इस स्कीम के तहत राज्य के कर्मचारियों से हर महीने वेतन में कटौती होती है। इसका मतलब यही है कि भुगतान के पैसों में सरकारी कर्मचारियों का अंशदान भी होता है। यदि सरकारी कर्मचारियों के वेतन से कटौती होती है तो प्राइवेट अस्पतालों को भुगतान करने की जिम्मेदारी भी सरकार की ही बनती है। फर्जीवाड़े को लेकर भुगतान न करना कही न कही सरकारी सिस्टम को भी कटघरे में खड़ा करता है। इसमें संदेह नही कि प्राइवेट अस्पताल व मेडिकल स्टोर इस स्कीम के तहत फर्जीवाड़ा करते हैं लेकिन ईमानदारी से काम करने वाले प्राइवेट अस्पतालों का भुगतान रोकने का कोई औचित्य नजर नहीं आता है। इस मामले को लेकर सरकार सभी को एक ही लाठी से हांक रही है।

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