जयपुर: सांगानेर के राधा बल्लभ मार्ग स्थित 500 वर्ष प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर में मनाए जा रहे सात दिवसीय जगन्नाथ महोत्सव में बुधवार को भगवान जगन्नाथ और माता लक्ष्मी की हल्दी और मेहंदी की रस्म संपन्न हुई। चार जुलाई को विवाह समारोह होगा तथा पांच जुलाई को मालपुरा गेट पर पारंपरिक गुदरी मेला आयोजित होगा। इसे स्थानीय लोग काले ठाकुरजी का मेला कहते हैं। इस दिन पारंपरिक लोकगीतों, नृत्यों एवं वाद्ययंत्रों के साथ देवी-देवताओं की झांकियां और भजन संध्याएं होंगी। मंदिर के पुजारी सुनील लाटा, अमन लाटा और सुभम लाटा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर नगर सेठ द्वारा निर्मित है। यहां विराजमान विग्रह चंदन की लकड़ी से बने हैं, जो उड़ीसा से लाए गए थे। भक्तों का मानना है कि सांगानेर के राजा सांगा बाबा स्वयं रथयात्रा के आगे सोने की झाडू से मार्ग को बुहारते थे, यह परंपरा आज भी जारी है। सांगानेर का यह मंदिर केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि इसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। सवाई जयसिंह द्वितीय के समय उड़ीसा स्थित पुरी मंदिर के आयोजन के लिए जयपुर दरबार से धन सहायता भेजी जाती थी। तब रथयात्रा पर मुस्लिम आक्रांताओं के हमलों से बचाने के लिए स्वामी गोबिंदा नंद के नेतृत्व में बालानंद मठ के नागा सैनिकों की बटालियन सुरक्षा में तैनात रहती थी। पुरानी बस्ती स्थित बालानंद मठ से भी रथयात्रा निकलती थी। पुरी का प्रसाद यहां लाकर भक्तों में वितरित किया जाता था।
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