झुंझुनूं (राजेन्द्र शर्मा, झेरलीवाला): आपातकाल के दौरान 13 नवंबर 1975 को राजस्थान पुलिस द्वारा गिरफ्तार होकर 16 दिसंबर 1975 को रिहा हुए चिङावा के सुभाष चन्द्र व्यास को ना तो राजस्थान सरकार लोकतंत्र रक्षक सेनानी मान रही है और ना ही प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी। सुभाष चंद्र व्यास ने देश में आपातकाल की 50वीं बरसी पर एक विशेष भेंट में बताया कि 13 नवंबर 1975 को राजस्थान पुलिस ने उन्हें उनके अनेक साथियों सहित सूरजगढ़ में गिरफ्तार किया गया था लेकिन पुलिस ने उन्हें दो दिन तक बगैर गिरफ्तारी के ही थाने में बैठाए रखा। दो दिन बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर 15 नवंबर को खेतङी जेल भेज दिया। सुभाष व्यास ने बताया कि खेतङी जेल से उन्हें 16 दिसंबर 1975 को रिहा किया गया लेकिन पुलिस रिकार्ड में उन्हें 15 नवंबर से 12 दिसंबर 1975 तक गिरफ्तार दिखाकर उन्हें मिलने वाली लोकतंत्र रक्षक सेनानी पेंशन योजना से वंचित कर दिया। इस संदर्भ में व्यास अपने लिए न्याय की मांग करते हुए झुंझुनूं जिला कलेक्टर के अलावा अपने सहपाठी रहे सिविल लाइंस जयपुर के विधायक गोपाल शर्मा सहित प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र भेजकर अपनी स्थिति से वाकिफ करवा चुके हैं लेकिन विडंबना है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद ना तो सरकार उनकी पीङा समझ रही है और ना ही भाजपा का प्रदेश संगठन। ज्ञातव्य है कि सिविल लाइंस, जयपुर के विधायक गोपाल शर्मा के मामाश्री सागर मल शर्मा भी सुभाष व्यास के साथ ही जेल में बंद थे। उनके द्वारा इस आशय का दिया गया एक शपथपत्र भी व्यास के पास मौजूद है।
आपातकाल यातना सहने वाले व्यास को भाजपा सरकार लोकतंत्र रक्षक सेनानी नहीं मान रही
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June 27, 2025
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