वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान का कोई अर्थ रहेगा क्या

AYUSH ANTIMA
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वर्षा आने वाली है। सरकार के निर्देश पर बीकानेर में भी जिला प्रशासन ने वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान की औपचारिकता पूरी कर दी है। ज्यादातर विभागों में गोष्ठियां और जन सम्पर्क विभाग मीडियां में खबर जारी होना ही अभियान की इतिश्री मान ली गई। जब वर्षा आएगी तो इस अभियान से प्रेरित होकर वर्षा जल का कहीं संग्रह और संरक्षण हो सकेगा क्या। अगर ऐसा हो तो अभियान की औपचारिकता पूरा करने वाला प्रशासन और सरकार जनता को बताए। परम्परागत जल स्त्रोत के आगोर (जलग्रहण क्षेत्र) पर अतिक्रमणों की सैकड़ों शिकायते प्रशासन के समक्ष लम्बित है। किसी भी क्षेत्र में तालाब, तलैया, बावड़ी और बहाव क्षेत्र का रख रखाव नहीं है। सच मानिए वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान कोरा प्रचार है, वो भी सरकारी तंत्र और कुछेक विभागों के बीच। नाम और फोटो छपवाने के अलावा अगर कोई इस अभियान का धरातल पर असर है तो प्रशासन बारिश आते ही बता दे। इस अभियान की सफलता की रिपोर्ट सरकार को भी भेज दें और जनता को भी अवगत करवा दें। श्रीकोलायत कपिल सरोवर जैसे तालाब की सरकार और प्रशासन आगोर सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं, वो भी जब तब कपिल सरोवर जनास्था जुड़ा हुआ है। इसका धार्मिक महत्व है। राजस्थान उच्च न्यायालय की मोनिटरिंग कमेटी की निगरानी है। इसकी तीन माह से मौके की स्थिति की रिपोर्ट भेजने के निर्देश है। इन निर्देशों की कितनी पालना होती है। श्रीकोलायत तहसील परम्परागत रूप से तालाब तलैयां बावडी का क्षेत्र रहा है। दर्जनों तालाब खत्म हो गए हैं या अवशेष बचे है। कुछेक का बहाव क्षेत्र संकुचित हो गया है। ज्यादा दूर नहीं अभियान चलाने वाले सिरमौर लोगों को पता ही नहीं है कि बीकानेर शहर के अभी शेष बचे 17-18 तालाब तलैया के आगोर पर अतिक्रमण है। जिले भर में परम्परागत वर्षा जल संरक्षण और संग्रहण स्त्रोतों की यही स्थिति है। मगरा क्षेत्र में तो खनन से बरसाती नदियों का बहाव क्षेत्र अवरूध्द हो गया है। वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान चलाने से पहले यह तो मान लिया कि परम्परागत वर्षा जल स्त्रोतों पर कोई ध्यान नहीं दिया। क्या वर्ष जल संरक्षण के वर्षा से पहले नए स्त्रोत विकसित किए हैं क्या ? केवल गिने चुने लोगों की गोष्ठिया करने और मीडिया में प्रचार से वर्षा जल संरक्षण कैसे हो जाएगा ? 'वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान' का जिला स्तरीय कार्यक्रम आरएसी की 10वीं बटालियन के परेड ग्राउंड में हुआ था, किसको प्रेरित किया गया ये बड़ा सवाल है। कार्यक्रम के प्रारूप को देख लें तो केवल आयोजन की औपचारिकता ही हुई थी। शिक्षा सचिव बीकानेर जिला प्रभारी सचिव कृष्ण कुणाल ने कहा था कि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के निर्देशों की अनुपालना में प्रदेश भर में 15 दिनों का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान आमजन को जागरूक करने के विभिन्न कार्यक्रम किए जाएंगे। प्रशासन ने मुख्यमंत्री के निर्देशों की अनुपालना बखूबी कर दी, परन्तु जनता यह देख लें कि वर्षा जल संरक्षण का कार्य इस अभियान के खत्म होने के बाद कहां कहां हुआ है। दुर्भाग्य यह है कि जनता और जन प्रतिनिधि प्रशासन के इस औपचारिकता पूरे करने वाले अभियान पर मूक बने हुए है। बीकानेर के महानिरीक्षक पुलिस ओमप्रकाश, जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि, पुलिस अधीक्षक कावेंद्र सागर, नगर निगम आयुक्त मयंक मनीष, बीकानेर विकास प्राधिकरण आयुक्त अपर्णा गुप्ता, बीएसएफ के उप महानिरीक्षक अजय लूथरा, कमांडेंट एनएम शर्मा इस अभियान के हिस्से रहे हैं। क्षेत्र के किसी विधायक, मंत्री या अन्य जनप्रतिनिधि ने सीएम के इस अभियान को लेकर दिए गए निदेर्शों में कोई रूचि नहीं दिखाई। यह स्थिति कमोबेश पूरे राज्य में ही रही। सतारूढ़ पार्टी ने भी वर्षी जल संरक्षण के इस अभियान में सहभागिता नहीं निभाई। चुंकि अभियान पूरा हो गया है। जनता में वर्षा जल संरक्षण को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है, अब तक यह जन अभियान नहीं बन पाया है। मानसून की वर्षा कभी भी हो सकती है। यह अमृत रूपी वर्षा जल गत वर्षों की तरह इस वर्ष भी यूं ही बह जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर चला वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान का कोई अर्थ रहेगा क्या ? सोचो जरा।

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