अपना घर आश्रम ने मनाया स्थापना दिवस, हवन यज्ञ का किया आयोजन

AYUSH ANTIMA
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अलवर (ब्यूरो): माँ माधुरी ब्रज वारिस सेवा सदन अपना घर संस्था द्वारा असहाय, लावारिस, पीड़ित मानव सेवा हेतु स्थापित  संतोष कुमार जानकी देवी गुरुकृपा अपनाघर आश्रम, विवेकानंद नगर अलवर की 13वीं वर्षगांठ मनाई गई। कार्यकारिणी के सदस्यों ने प्रातः 6:30 बजे आश्रम पहुंचकर सेवा साथियों के साथ मिलकर सभी प्रभुजनों को अपने हाथों से नहलाया, सभी को नई पोशाक पहनाई गई। उसके बाद कार्यकारिणी के सदस्य, सेवा साथियों एवं प्रभजी ने भवानी तोप के पास स्थित गौशाला में 5 क्विंटल हरी सब्जियां, तरबूज, पत्ता गोभी, कोला, खीरा आदि गायों को गौसवामणी के बतौर समर्पित कीं। 9:30 बजे से आश्रम प्रांगण में अग्निहोत्री यज्ञ का आयोजन हुआ, जिसमें आश्रम से जुड़े सदस्यों के साथ साथ सेवा साथियों और प्रभुजनों ने भी आवासियों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ तथा परिवार में पुनर्वासन की भावना से आहुतियां समर्पित की गई। आश्रम की संस्थापक सदस्य जानकी देवी अरोड़ा के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए भी विशेष आहुतियां समर्पित की गई। 
प्रभुजनों के साथ सेवा साथी लक्ष्मण सिंह, रनवीर सिंह, चरण सिंह, परशुराम, इन्दर लाल, प्रमोद गोयल के अतिरिक्त कार्यकारिणी के सदस्य एवं सेवाभावी अशोक मेरी, गजेन्द्र सिंह, केके खण्डेलवाल, अशोक गुप्ता, मीनाक्षी गुप्ता, सरला जैन, रेणु मिश्रा, सरोज शर्मा, सुमन शर्मा, अर्जुन तख्तानी, सुरेन्द्र सोनी, सीताराम शर्मा, अशोक आहूजा, बीडी गुप्ता यज्ञ में सम्मिलित हुए। आश्रम के अध्यक्ष सतीश सारस्वत के सानिध्य में यज्ञ संचालन हुआ। हवन के बाद प्रभुजनों को विशेष भोजन कराया गया। इस अवसर पर आश्रम में सेवा करने वाले वरिष्ठ सेवा साथियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया और उनकी सेवाओं की सराहना की गई। आश्रम अध्यक्ष सतीश सारस्वत ने बताया कि आश्रम 25 आवासी क्षमता से शुरू किया गया था, जिसमें आज 80 आवासीय क्षमता के साथ 75 प्रभुजन सेवा पा रहे हैं। 13 साल की अवधि में 677 को प्रवेश दिया गया, जिसमें से 252 को उनके परिवार में पुनर्वासित किया जा चुका है। 312 को अन्य आश्रमों में स्थानांतरित किया गया। सेवा और उपचार के बाद भी 38 ब्रह्मलीन हो गए, जिनका आश्रम द्वारा अंतिम संस्कार किया। महिलाओं के लिए वैशाली नगर अलवर में 150 की क्षमता का अपनाघर आश्रम भी संस्था द्वारा संचालित है, जिसमें 131 पीड़ित प्रभु स्वरूप महिलायें सेवा पा रही हैं। आश्रम में हर कार्य "नर सेवा नारायण सेवा" के भाव से किया जाता है। 
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