शिक्षको के तबादलों को लेकर असमंजस की स्थिति

AYUSH ANTIMA
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राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्पष्ट कर दिया कि अभी स्कूली शिक्षा में किसी भी स्तर पर तबादले नहीं हो रहे हैं। उनके अनुसार तबादलों को लेकर किसी से भी डिजायर नहीं मांगी गई है। इस तरह के सारे मामले फर्जी है। दिलावर ने कहा कि इसको लेकर किसी भी शिक्षक को विधायक या भाजपा प्रत्याशी को आवेदन जमा करवाने की जरूरत नहीं है। यदि कोई विधायक या भाजपा प्रत्याशी आवेदन जमा कर रहा है तो यह फर्जीवाड़ा है। स्कूली शिक्षकों के तबादलों को लेकर सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। विदित हो पिछले दिनो से विधायक व भाजपा प्रत्याशी आवेदन ले रहे थे व इसको लेकर प्रमुखता से खबरें प्रकाशित हो रही थी कि विधायक व भाजपा प्रत्याशी को ई-मेल भेजकर डिजायर संख्या भी बताई गई थी। मदन दिलावर के अनुसार जब तबादलों पर सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया तो सरकारी स्तर पर इन खबरों का खंडन करना चाहिए था। तबादलों को लेकर खबर ने सुर्खियां बटोरी थी कि शिक्षा विभाग ने शिक्षाकर्मियों की 70 की संख्या में विधायक व भाजपा प्रत्याशी से डिजायर मांगी थी लेकिन मदन दिलावर ने स्पष्ट कर दिया कि शिक्षको के तबादले नहीं हो रहे व विधायको व भाजपा प्रत्याशी से आवेदन लेने वाली प्रक्रिया फर्जी है लेकिन इस प्रकिया में गुजरने को लेकर शिक्षकों को जो मानसिक तनाव से गुजरना पड़ा, आखिर उसका जिम्मेदार कौन है ? यदि आंकड़ों की मानें तो 18 हजार सरकारी स्कूलों में 44 हजार व्याख्याताओं के पद रिक्त पड़े हैं। इसके साथ ही तृतीय श्रेणी के शिक्षको के करीब पिछले आठ साल से तबादलों पर बैन लगा हुआ है। सरकार मानें या न माने बार बार तबादला निती पर असमंजस को लेकर शिक्षको मे भारी रोष है। सरकार को तबादलों को लेकर एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए, कहीं यह तबादला उधोग में तब्दील न हो जाए व शिक्षा के मंदिर राजनीति का अखाडे न बन जाए। इसके साथ यह भी जांच का विषय है कि जब सरकारी स्तर पर शिक्षकों के तबादलों पर कोई निर्णय लिया ही नहीं गया तो विधायकों व भाजपा प्रत्याशीयो ने आवेदन लेने का नाटक क्यों किया। इसमें कोई संदेह नहीं कि बार बार तबादलों की खबरों से स्कूलों में शिक्षा के माहोल पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वैसे भी सरकारी स्कूलों में घटती छात्रों की संख्या चिंता का विषय है। भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार को तबादलों को लेकर असमंजस की स्थिति को दूर करने के साथ ही तबादलों को लेकर एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है ।

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