नैमिषारण्य/ सीतापुर: भगवान श्रीजगन्नाथ के द्वितीय पाटोत्सव एवं श्री लक्ष्मीनारायण यज्ञ के साथ नौदिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन शनिवार से सुप्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में शुरूआत की गई। व्यासपीठ से जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रामचन्द्राचार्य ने श्रीराम कथा के द्वितीय दिवस पर श्रौताओं को कहा कि भगवान की कथा वेदों से आती हैं। भगवान की कथा के लिए सुमति चाहिए, जिसको भी उपदेश दिया जाए, वह गहराइयों तक जाए। उन्होंने राम कथा को सुनने के चार सरल तरीक़े भी भक्तों को बतायें। स्वामी जी ने कहा राम कथा सरोवर है, सुनने में बड़ी कठिनाई है। भगवान की बहुत बड़ी कृपा होने पर ही रामकथा के सरोवर डूबा जा सकता है। स्वामी रामचन्द्राचार्य ने कहा कि चार अलग-अलग घाटों की व्याख्या की है। जिसमें प्रथम ज्ञान घाट, द्वितीय भक्ति घाट, तृतीय कर्म घाट और चौथा शरणागति घाट बताया है। स्वामी तुलसीदास जी ने उपरोक्त तानों घाटों को नहीं चुनते हुए उन्होंने शरणागति घाट को ही चुना है। स्वामी जी ने कहा कि रामायण की व्याख्या इन्हीं चार घाटों से की हैं। उन्होंने यह भी कहा कि परमार्थ के लिए सबसे बढ़िया जीवन मनुष्य के जीवन बताया है। कथा में प्रयागराज के तट भारद्वाज ऋषि के आश्रम के बारे में बताया गया। उन्होंने प्रयागराज के बारे में भी श्रोताओं का बताते हुए कहा कि प्रयागराज राजा है। राम कथा में पवित्र तीर्थ गुरू पुष्कर राज के बारे में बताते हुए कहा पुष्कर तीर्थ सभी तीर्थों का गुरू है। जगद्गुरु स्वामी रामचन्द्राचार्य ने कहा कि मनुष्य को लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। तत्व ज्ञान में सब कुछ है। रामराज्य में न्याय की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन आज देखा जा रहा है कि बिलकुल विपरीत वर्तमान में राम राज्य का अपमान हो रहा है।
जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन मंदिर के प्रांगण में मध्याह्न 3 बजे से सांयकाल 6 बजे तक किया जा रहा हैं। कथा की शुरुआत श्रीरामचरितमानस की पूजा व आरती से की, अंत में पुनः आरती श्रीराम कथा की, पश्चात भक्तों को प्रसाद वितरित किया। ज्ञातव्य हो कि कथा श्रवण करने के लिए देश के अन्य राज्यों से श्रद्धालु आ रहे हैं ।