सोशल मिडिया एक सभ्य व्यक्तियों का समूह है, जहां विचारों के आदान-प्रदान के साथ स्वस्थ व सार्थक बहस से एक दूसरे को जानने पहचानने का मंच है लेकिन जिस तरह से इस मंच पर रील व भौडी कामैडी से अश्लीलता परोसी जा रही है, यह हमारे सभ्य समाज के लिए किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। कामैडी वह होती है, जिसमें समाज में स्वच्छ संदेश देने के साथ ही मंनोरंजन भी करें। यह देखा गया है कि कामेडी करने वाले किरदारों की सोच केवल दारू तक ही सिमित हो गई है। इससे हमारी युवा पीढ़ी पर दुष्प्रभाव तो पड़ ही रहा है, साथ ही सनातन धर्म की मान्यताओं व परम्पराओं के अनुरूप भी नहीं है। सनातन धर्म में महिलाएं सृजन और शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। मां का स्वरूप जीवन का स्रोत है, जो जीवन को जन्म देती है, उसे पोषित करती है। यह भूमिका उसे समाज में सम्मानित स्थान दिलाती है। देवी दुर्गा, लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती जैसी देवियों के माध्यम से महिलाओं को शक्ति, समृध्दि और सौन्दर्य का प्रतीक माना गया है। सनातन धर्म में महिलाओं को एक पारिवारिक भूमिका में नहीं बल्कि समाज व आध्यात्मिक क्षेत्र मे महत्वपूर्ण स्थान देने पर बल देता है। स्त्री के सहयोग से पुरुष जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। महिलाओं को परिवार और समाज की सांस्कृतिक परम्पराओं का संरक्षक माना गया है। वे अपनी संतानों को धार्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों से परिचित करवाती है और समाज में उन मूल्यों का पोषण करती है। सनातन धर्म में महिलाओं को समाज में ऊंचा दर्जा देने के पीछे गहरे धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कारण है। यह मान्यता है कि महिला न केवल परिवार बल्कि समाज और धर्म की भी आधारशिला है लेकिन उपरोक्त नैतिक मूल्यों के विपरीत संभ्रांत परिवार की महिलाएं रील संस्कृति के माध्यम से इस तरह की अश्लीलता परोस रही है, जो कि नारी जाति पर कलंक ही कहा जाएगा। एक तरफ हम महिलाओं के साथ अभद्रता, दुर्व्यवहार व उत्पीड़न को लेकर हम बहस करते हैं, इसके विपरीत रील संस्कृति के माध्यम से उक्त बातों को बढ़ावा देने का काम कर रही है। इस रील संस्कृति के माध्यम से युवा पीढ़ी को उन्हीं कुकर्मों की तरफ धकेल रही है, जिनका हमारे सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं। यह देश महान महिलाओं की गाथाओं से भरा पड़ा है, उनके संस्कारों से सीख लेनी चाहिए न कि भौडा प्रदर्शन कर हमारी सनातनी संस्कृति के बट्टा लगाने का काम करना चाहिए। भारतीय समाज के रिश्तों के ताने-बाने को नष्ट करने को लेकर सुनियोजित षड्यंत्र चल रहा है। भारतीय समाज के रिश्तों को लेकर अश्लीलता परोसना आने वाली पीढ़ी को संस्कार विहिन बनाने की कुचेष्टा हो रही है। इसको लेकर राजस्थान प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने इस पर कारवाई की मांग की, जिसको लेकर मदन राठोड़ साधुवाद के पात्र हैं। देवर-भाभी, चाची-भतीजा यहां तक कि दामाद और सास को लेकर भी अश्लील विडियो आनायस ही सोशल मिडिया पर दिखाई पड़ते हैं। आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने इस रील संस्कृति को लेकर अपने लेख में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था लेकिन अब सांसद मदन राठौड़ ने इस मामले को राज्य सभा में उठाकर आयुष अंतिमा के विचारों पर मुहर लगा दी है।
अतः समाज के युवा वर्ग को संस्कारों से विमुख करने वाले ऐसे कामों पर सरकार को तुरंत प्रभाव से रोक लगाने की दिशा में सार्थक प्रयास करने चाहिए ।