अलवर और चंबल में अनंत के छात्रों ने सीखा – समुदाय और प्रकृति से प्रेरित डिज़ाइन के सबक

AYUSH ANTIMA
By -
0


जयपुर/अलवर (ब्रह्म प्रकाश शर्मा): अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी ने ‘डिज़ाइन सीखने में भू-सांस्कृतिक मानचित्रण का महत्व’ नाम से एक कोलैबोरेटिव स्टूडियो आयोजित किया। यह कार्यक्रम अलवर के तरुण भारत आश्रम और चंबल क्षेत्र में हुआ। इसमें अनंत के डिज़ाइन छात्रों को स्थानीय लोगों और उनके वातावरण से सीधे सीखने का मौका मिला। उन्होंने जाना कि पारंपरिक ज्ञान और समुदाय का सहयोग मिलकर कैसे एक बेहतर और टिकाऊ भविष्य बना सकता है। यह कोलैबोरेटिव स्टूडियो 10 अलग-अलग वर्कशॉप्स की एक श्रृंखला है, जिनमें कारीगर, विशेषज्ञ और शिक्षक मिलकर छात्रों को भारत की पारंपरिक ज्ञान परंपरा के बारे में सिखाते हैं। इन वर्कशॉप्स में छात्र पारंपरिक शिल्प, टिकाऊ फैशन, मजबूत गाँवों का डिज़ाइन और कश्मीर की संगीत परंपरा जैसे विषयों पर सीखते हैं। इससे वे समझते हैं कि संस्कृति और परंपरा कैसे जिम्मेदार और नए सोच वाले डिज़ाइन को प्रेरित कर सकती हैं। यह स्टूडियो डॉ.राजेन्द्र सिंह (प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, एनवायरनमेंटल डिज़ाइन, अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी) के नेतृत्व में हुआ। उन्हें ‘वॉटरमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है। छात्रों ने देखा कि कैसे समुदाय की भागीदारी, पर्यावरणीय नेतृत्व और पारंपरिक ज्ञान की मदद से अलवर में 23 नदियों को फिर से जीवित किया गया। उन्होंने यह भी सीखा कि इन प्रयासों से जल स्रोत, जीव-जंतु, और लोगों की आजीविका मजबूत हुई। उन्होंने यह भी देखा कि जो चंबल इलाका कभी बीहड़ों और डकैतों के लिए जाना जाता था, वह अब स्थानीय पर्यावरणीय प्रयासों से कैसे विकसित हो रहा है। फील्ड ट्रिप के दौरान छात्रों ने यह समझने के लिए भू-सांस्कृतिक मानचित्रण किया कि भूमि, पानी, संस्कृति और लोग एक-दूसरे से कैसे जुड़े हैं। उन्होंने स्थानीय समुदायों से बातचीत कर सीखा कि पारंपरिक ज्ञान और टिकाऊ तरीकों से पर्यावरण और रोज़गार को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। डॉ. सिंह ने कहा कि “भारत का भू-सांस्कृतिक मानचित्र सिर्फ नक्शा नहीं है, बल्कि यह हमारी भूमि, जल, संस्कृति और चेतना का जीवंत प्रतीक है। यह भारत के पुनर्निर्माण की नींव बनेगा।”
प्रो.पुनीत कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ क्रिएटिव प्रैक्टिसेज़ एंड एंटरप्रेन्योरशिप, और स्टूडियो के संयोजक ने कहा कि “भू-सांस्कृतिक मानचित्रण भारतीय संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए एक अहम कदम है। यह हमें जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में मदद करेगा।” यह स्टूडियो अनंत के उस विचार को दिखाता है कि शिक्षा सिर्फ कक्षा में नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़कर भी होती है। पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक डिज़ाइन शिक्षा के साथ जोड़कर, अनंत अपने छात्रों को संवेदनशील, समझदार और समाज के लिए उपयोगी डिज़ाइनर बनने के लिए तैयार करता है। यह स्टूडियो यह भी बताता है कि भविष्य के डिज़ाइनरों को पुराने ज्ञान और नई तकनीक — दोनों से सीखना ज़रूरी है।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!