राजस्थान में अंता विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। भाजपा की बात करें तो यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नाक का सवाल है क्योंकि सुमन को टिकट उन्हीं के कहने पर दिया गया है व लोकसभा क्षेत्र से वसुंधरा राजे खुद सांसद रह चुकी है और अब उनका बेटा दुष्यन्त सांसद हैं। वैसे हाड़ौती में अपने मुख्यमंत्री काल में राजे ने बहुत ही विकास के काम करवाए हैं, जो जनता के जेहन में है। मैंने मेरे विगत लेख मे राजनीतिक विश्लेषको के अनुमान के अनुसार मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच होना बताया था। इस सीट पर कांग्रेस पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं और कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया, जो गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके हैं व दो बार विधायक रहे हैं की जीत को लेकर पूरा जोर लगा रखा है। भाजपा की ओर से वसुंधरा राजे डेरा डाले हुए हैं व भजन लाल शर्मा व मदन राठौड़ के साथ रोड शौ करके भाजपा में एकजुटता का प्रदर्शन करने के साथ ही सुमन की तरफ माहौल को मोड़ने की पूरी कोशिश की गई। निर्दलीय नरेश मीणा के समर्थन में पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा व सांसद हनुमान बेनीवाल एक मंच पर आ चुके हैं। चुनावी माहौल में राजनीतिक फिजा बदलते देर नहीं लगती। शायद उसी राजनीतिक फिजा का अंदाजा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लग गया, जिसके कारण चुनावी परिणाम से पहले ही हार मानकर हथियार डाल दिए। अशोक गहलोत के अनुसार कांग्रेस का बागी उम्मीदवार नरेश मीणा चुनाव नहीं जीत सकता लेकिन कांग्रेस को जरूर नुकसान पहुंचायेगा। अपने भाषण में अशोक गहलोत ने स्वीकार किया कि पहले 2023 में छबड़ा में 13 हजार वोट लेकर व 2024 में देवली उनियारा उपचुनाव में 6 हजार वोट प्राप्त किए। विदित हो इन्हीं नरेश मीणा की वजह से देवली उनियारा में अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई। इन दोनों चुनावों में नरेश मीणा ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसी चिंता को लेकर अशोक गहलोत ने अंता के परिणाम पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए। गहलोत ने मीणा समुदाय से अपील की है कि नरेश मीणा को वोट देकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम न करें। विदित हो अंता विधानसभा में मीणा समाज के करीब 40 हजार मतदाता हैं। यदि अशोक गहलोत की चिंता को देखें तो शायद देवली उनियारा की तरह ही चुनावी समर से बाहर हो गई है। अब जिस तरह देवली उनियारा में मुकाबला नरेश मीणा व भाजपा के उम्मीदवार में था, वही स्थिति अंता में बनने वाली हैं। अब यह तो 14 नवम्बर को मतगणना से ही पता चलेगा कि जीत का सेहरा किस उम्मीदवार के सिर बंधेगा लेकिन अशोक गहलोत के बयान ने चुनावी परिणाम से पहले ही हार मान ली है।
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