श्रध्दा व आस्था पर बरसाई लाठियां

AYUSH ANTIMA
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खाटू नगरी के नाम से विख्यात विश्व प्रसिद्ध नगरी, जहां कलियुग के देव खाटू नरेश की पावन धरा है। उतरी भारत में खाटू नगरी आस्था व श्रद्धा का एक महाकुंभ बन चुकी है। देश के हर कोने से श्रद्धालु खाटू नगरी में अपनी हाजिरी लगाकर खुद को सौभाग्यशाली समझते हैं। राजस्थान की पधारो म्हारे देश की एक अनूठी परम्परा रही है। उस परम्परा को धूमिल करने का एक वाकया खाटू नगरी में देखने को मिला, जहां कुछ दुकानदारों ने श्रद्धा व आस्था पर लाठियों से प्रहार किया। सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश से धर्मावलंबी श्रद्धालु खाटू नगरी में बाबा श्याम का दीदार करने आये थे। हारे के सहारे के नाम से विख्यात बाबा श्याम की नगरी को कुछ दुकानदारों ने इस नगरी की गरिमा पर चोट पहुंचाने का काम किया है। खाटू नगरी में भारी बारिश के चलते इन श्रद्धालुओं ने जिनमें महिलाएं और बच्चे भी थे, बारिश से बचने के लिए एक दुकान में शरण लेने को लेकर दुकानदारों व श्रद्धालुओं में बहस हो गई, तत्पश्चात जो नजारा खाटू नगरी मे देखने को मिला, उसको किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता। वायरल विडियो में स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि हमलावरों ने महिलाओं को भी नहीं बक्शा। यह असामाजिक तत्व महिलाओं पर भी लाठियां बरसाते नजर आ रहे थे। यह तो आरोप प्रत्यारोप का विषय है लेकिन बरसात से बचने के लिए यदि कोई व्यक्ति दुकान में शरण लेता है तो यह उसके अपराध की श्रैणी में नहीं आता। दुकानदारों को सोचना होगा कि उनका व्यापार इन्हीं श्रद्धालुओं के बलबूते चलता है। वैसे इन दूकानदारो का खाटू नगरी में जाने वाले सनातनियों का प्रसाद को लेकर कपड़े फाड़ना एक आम बात हो गई है। जब मंदिर कमेटी ने प्रसाद चढ़ाना प्रतिबंधित कर रखा है तो प्रसाद लेने के लिए दुकानदारों का बाध्य करने का कोई औचित्य नजर नहीं आता है। वैसे देखा जाए तो इस कृत्य को लेकर पूरे भारत में खाटू मंदिर की प्रबंधक कमेटी पर भी प्रश्न चिन्ह उठने लाजिमी है। मंदिर कमेटी की मिलीभगत से बाबा श्याम के वीआईपी दर्शन का खेल भी परवान पर रहता है। हालांकि प्रशासन व मंदिर कमेटी वीआईपी दर्शन को लेकर इंकार करती रही है लेकिन खाटू नगरी के हर नुक्कड़ पर पैसे लेकर वीआइपी दर्शन करवाने वाले देखे जा सकते हैं। जिस तरह से खाटू नगरी में अनियंत्रित भीड़ देखने को मिल रही है तो इसको देखे तो एक तरह से लोगो ने धार्मिक स्थलों व पिकनिक स्थलों के रूप में देखने लगे हैं। देवशयनी एकादशी पर जो भीड़ का आलम था, इसको लेकर मंदिर कमेटी और प्रशासन को गंभीरता से लेना होगा अन्यथा खाटू नगरी में भी महाकुंभ जैसी भगदड़ देखने को मिल सकती है। दुकानदारों ने जो अमानवीय व्यवहार कर खाटू नगरी व राजस्थान की पधारो म्हारे देश की परम्परा को धूमिल किया है, इसको लेकर भी प्रशासन व मंदिर कमेटी को गंभीरता से सोचना होगा ।

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