विशेषज्ञता आधारित इकाइयों के गठन से समावेशी शिक्षा के लक्ष्य होंगे साकार: श्री चंद्रशेखर

AYUSH ANTIMA
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नई दिल्ली (श्रीराम इंदौरिया): दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और समावेशी शिक्षा के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए सक्षम टीचर्स फोरम-एसटीएफ द्वारा आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला समावेशी शिक्षा का निर्माण: शिक्षक और सामुदायिक सशक्तिकरण का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजन महाविद्यालय में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। कार्यशाला की शुरुआत संस्कृत मंगलाचरण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसमें दिव्यांग शिक्षक प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, अधिवक्ताओं और नीति-निर्माताओं एवं अन्य सामजिकजनों ने सक्रिय भागीदारी की। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सक्षम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री माननीय चंद्रशेखर जी ने अपने वक्तव्य में सक्षम टीचर्स फोरम के गठन की आवश्यकता और उसकी कार्ययोजना पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में दिव्यांगजनों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु एक सुव्यवस्थित, चरणबद्ध और विशेषज्ञता-आधारित रणनीति की आवश्यकता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सक्षम टीचर्स फोरम के अंतर्गत विभिन्न उप-इकाइयों का गठन किया जाएगा, जो विशेषज्ञता के आधार पर कार्यों का वर्गीकरण करते हुए समावेशी शिक्षा के लक्ष्यों को अधिक प्रभावी ढंग से प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होंगे। इस अवसर पर उन्होंने एसटीएफ के संयोजक के रूप में डॉ.प्रमोद कुमार सिंह और सह-संयोजक के रूप में डॉ.शैलेन्द्र पाठक को उत्तरदायित्व प्रदान करते हुए आगामी कार्यों की दिशा भी स्पष्ट की। कार्यक्रम का स्वागत भाषण रामानुजन महाविद्यालय की ओर से लोक उत्थान पहल फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.कमलेश रघुवंशी द्वारा प्रस्तुत किया गया। सक्षम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.दयाल सिंह पंवार ने कहा कि समावेशी शिक्षा हमारी नीतिगत और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता है, जिसे जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एसटीएफ को मजबूती से काम करना होगा। उद्घाटन सत्र में संक्षम के दिल्ली प्रान्त अध्यक्ष डॉ.अमित कुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। दिल्ली और हरियाणा के संगठन मंत्री देवेंद्र जी ने अपने संबोधन में विभिन्न दिव्यांग श्रेणियों के बीच समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक सक्षम के कार्यों को विस्तार देने की आवश्यकता है, जिससे यह मंच केवल सहभागिता का ही नहीं, बल्कि नीति-निर्माण में भागीदारी का माध्यम भी बन सके। उन्होंने यह भी बताया कि दिव्यांग शिक्षकों की सहभागिता से शिक्षा व्यवस्था को अधिक समावेशी और उत्तरदायी बनाया जा सकता है। कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ वक्ताओं द्वारा विविध विषयों पर विचार साझा किए गए। सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता एसके रुंगटा ने दिव्यांगों को आरक्षण संबंधी प्रावधानों पर प्रकाश डाला, जबकि दिव्यांगजन आयुक्त एस.गोविंदराज ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के व्यावहारिक पक्षों की व्याख्या की। अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक आकाश पाटिल ने समावेशी दृष्टिकोण को सामाजिक उत्तरदायित्व से जोड़ते हुए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टियाँ प्रदान कीं। वहीं आई-क्रिएट के संस्थापक डॉ.नेकराम उपाध्याय ने सहायक तकनीकी के उपयोग और नवाचार पर केंद्रित व्याख्यान दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.भारतेन्दु पाण्डेय ने अपने संदेश में एसटीएफ के प्रयासों की सराहना करते हुए उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। कार्यक्रम का संचालन डॉ.शैलेन्द्र पाठक, डॉ.प्रमोद कुमार सिंह और डॉ.गोपाल परिहार ने संयुक्त रूप से किया। आयोजन में विभिन्न संस्थाओं एवं महाविद्यालयों से जुड़े एसटीएफ संयोजकों डॉ.कुमुद रानी गर्ग, डॉ.पंकज गोसाई, डॉ.सत्येन्द्र, डॉ.आकाश, डॉ.भैरू लाल यादव, डॉ.प्रेम प्रकाश, डॉ.मुकेश कलवानी, निशित, संजीव तोमर और प्रेमचंद सहित कई गणमान्य प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम के समापन पर डॉ.शैलेन्द्र पाठक ने सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों और सहयोगियों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में नीति विश्लेषण, अनुभव-साझा, प्रशिक्षण रणनीतियाँ तथा सामुदायिक सहभागिता जैसे विषयों पर केंद्रित संवाद हुआ। प्रतिभागियों ने समावेशी शिक्षा की दिशा में ठोस क्रियान्वयन योजनाओं की आवश्यकता पर बल दिया और इस दिशा में ठोस अनुकरणीय पहलों की प्रतिबद्धता व्यक्त की। यह आयोजन न केवल शिक्षकों और शिक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधियों के लिए एक सशक्त मंच सिद्ध हुआ, बल्कि समावेशी शिक्षा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संवाद और सहयोग की दिशा में एक मील का पत्थर भी साबित हुआ।

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