प्रदेश के शिक्षा मंत्री छात्रों के सामने ही असहज तो कैसे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था संभालेंगे: अभिषेक जैन बिट्टू

AYUSH ANTIMA
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जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): लगातार दो दिनों में प्रदेश के दो जिलों में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के सम्मुख घटी घटना के बाद प्रदेश के शिक्षा मंत्री लगातार सुर्खियों में बने हुए है, हर कोई शिक्षा मंत्री के सवालों पर कड़े शब्दों में तंज कस रहे है, लगातार हमलावर हो रहे है, वही जोधपुर और बारां जिले में जिस प्रकार का स्वभाव शिक्षा मंत्री का देखने को मिला, उसे देखकर संयुक्त अभिभावक संघ ने तो मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा तक से गुहार लगा दी है, संघ ने मुख्यमंत्री से प्रदेश में शिक्षा मंत्री के भेष में चल रहे संस्कृति मंत्री को बदलने तक की मांग कर दी है। संघ ने कहा कि विगत डेढ़ वर्षों से शिक्षा मंत्री अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ना कर केवल अपनों शब्दों से प्रदेश का मनोरंजन करवा रहे है। कभी स्कूलों को बंद करने की बात कहते है तो कभी शिक्षकों के वस्त्रों की बात करते है, यही नहीं कोटा और प्रदेश में विद्यार्थियों के आत्महत्या तक के मामलों में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अपने बयानों में कभी अभिभावकों को दोषी ठहराते है तो कभी प्रेम प्रसंग से जोड़ देते है। इसलिए प्रदेश को गैर जिम्मेदार व्यक्ति नहीं बल्कि शिक्षा के प्रति समर्पित शिक्षा मंत्री की आवश्यकता है। संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बारां जिले की एक छात्रा जो अंग्रेजी में सवाल करती है, उस छात्रा तक को वह जवाब तक नहीं दे पाए और उस छात्रा को रोककर हिंदी में सवाल पूछने के लिए कहना पड़ गया। इस वाक्य से यह तो स्पष्ट हो गया है कि क्यों पिछले डेढ़ साल से शिक्षा मंत्री महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने पर उतारू थे, क्योंकि जब उन्होंने खुद ने ही अंग्रेजी भाषा का अध्ययन नहीं किया है तो वह दूसरों को कैसे अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करवा सकते है। वहीं दूसरी तरह जोधपुर जिले के एक पूर्व सरपंच को पांव छूकर जिन दो सरकारी हिंदी माध्यम स्कूल जनवरी माह में मर्ज किया था, उन्हें पुनः दोनों भवनों में संचालित करने की मांग रखी किंतु मंत्री ने यह कहकर मना कर दिया कि उहोंने उनके पांव छुए, इसलिए उनका काम नहीं करेगे, जबकि संयुक्त अभिभावक संघ लगातार 5 माह से जिन स्कूलों को मर्ज किया है, उनकी समीक्षा करने की मांग कर रहा है किंतु शिक्षा मंत्री और राजस्थान सरकार एवं शिक्षा विभाग लगातार अनसुना कर मामले को दबाने की कोशिश कर रहे है क्योंकि जिन 450 से अधिक स्कूलों को मर्ज किया था, उनमें से 150 से अधिक ऐसे मर्जर थे, जिन्हें पुनः अपने अस्तित्व में लौटने की सख्त आवश्यकता थी किंतु निजी स्कूलों को संरक्षण देने के चलते लगातार मामले पर चुप्पी साधी जा रही है।

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