पर्यटन के मानचित्र पर अलवर की सिलिसेढ़ झील मौजू, फिर सरकार ने क्यों बनाई सिलिसेढ़ से पानी अलवर शहर में ले जाने की योजना

AYUSH ANTIMA
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अलवर (मनीष अरोड़ा): लगातार पिछले 25 दिनों से अलवर के सिलिसेढ़ तिराहे पर चल रहा 10 पंचायत के किसानों का धरना आखिरकार प्रशासन के बैक फुट पर आने के बाद समाप्त हो गया। किसान लगातार मांग कर रहे थे कि सिलिसेढ़ झील में प्रशासन के द्वारा की जाने वाली 35 बोरिंग किसी भी हाल में नहीं होने देंगे, वहीं सरकार घोषणा कर चुकी थी कि सिलीसेढ़ का पानी अलवर शहर में लाकर रहेंगे। धरना प्रदर्शन हुए, ट्रैक्टर कूच की तैयारी की गई लेकिन शहर के बाहर ढाई पैड़ी तिराहे पर बेरिकेटिंग कर किसानों को पूरे दिन रोका गया। अंत में सरकार को फिलहाल एक बार पुनर्विचार करने के लिए बैक फुट पर आना पड़ा। यहां सोचने लायक बात यह है कि न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में जिले में पर्यटन के मानचित्र पर सिलिसेढ़ झील आज से ही नहीं पिछले कई बरसों बरस से एक पर्यटक स्थल के रूप में अंकित है। यहां ताज्जुब की बात यह है कि सरकार को क्या यह पता नहीं था कि यह पर्यटन स्थल है या फिर आमजन को खुश करने के लिए आनन-फानन में यह घोषणा कर दी गई और बाद में सरकार को बैक फुट पर आना पड़ा। जिला कलेक्टर ने पुनर्विचार के लिए उच्च अधिकारियों से सूचना पहुंचाने की बात कही, वहीं किसानों का कहना था कि 35 बोरिंग से पानी खींचने के बाद पूरा क्षेत्र सूख जाता। किसान नेता प्रेम पटेल ने बताया कि ट्रैक्टर कूच के बाद समझौता वार्ता के लिए बीच का रास्ता निकालने हेतु जिला कलेक्टर से एक प्रतिनिधि मंडल मिलने गया। जिला कलेक्टर ने उच्च अधिकारियों को पुनर्विचार के लिए किसानों की मांगे उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर दी, साथ ही किसानों को यह आश्वासन दिया कि सिलिसेढ़ क्षेत्र में बोरिंग नहीं की जाएगी। सरपंच निहाल गुर्जर का कहना था कि सरकार को सिलिसेढ़ की बजाय ईआरसीपी का पानी जल्दी से जल्दी अलवर में लाना चाहिए, जिससे कि पूरे जिले वासियों की प्यास बुझ सके।
इसके अलावा सरपंच पेमाराम ने कहा कि लगातार पिछले 23 दिनों से चल रहे धरने में किसानों को सफलता मिली, यह एक अच्छी बात है। वही किसान नेता महेश सैनी ने कहा कि किसान किसी भी हाल में सिलिसेढ़ से बोरिंग के द्वारा पानी शहर में ले जाने नहीं देते चाहे कुछ भी हो जाता। प्रशासन का यह अच्छा निर्णय है कि उन्होंने सिलिसेढ़ में बोरिंग नहीं लगाने का आश्वासन दिया है। बहरहाल, सिलिसेढ़ में फिलहाल बोरिंग नहीं होने के जिला कलेक्टर के आश्वासन के बाद किसानों के चेहरे पर खुशी दिखाई दी लेकिन साथ ही साथ उनका कहना था कि सरकार को जल्द से जल्द ERCP के द्वारा जिले में पानी लाना अति आवश्यक है, जिससे कि पूरे जिलेवासियों की प्यास बुझ सके।
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