योग का सनातन धर्म में विशिष्ट स्थान है। योग सांख्य और न्याय जैसे दार्शनिक और धार्मिक सिध्दांतों का हिस्सा है। योग का भागवत गीता, योग सूत्र व उपनिषदों में भी उल्लेख मिलता है। योग की शिक्षा को गुरू शिष्य परम्परा के माध्यम से दिया जाता है, जो कि सनातन धर्म में ज्ञान के संचरण का महत्वपूर्ण तरीका है। योग का शाब्दिक अर्थ संस्कृत के मूल शब्द यूज से बना है, जिसका व्यापक अर्थ है एकजुट होना। योग एक प्राचीन अभ्यास है, जो शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। योग के नियमित रूप से अभ्यास करने से शारीरिक लचीलापन और ताकत बढ़ती है, तनाव कम होता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। योग मन को शांत करने के साथ ही एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता में सुधार मे सहायक है। सनातन धर्म में योग को अध्यात्मिक और भौतिक अभ्यास माना जाता है। योग ध्यान, प्राणायाम और योगिक तकनीकों के माध्यम से मन को शांत रखता है, जिससे आंतरिक शांति और अध्यात्मिक जाग्रति होती है। योग को लेकर उपरोक्त तथ्यों से प्रेरित होकर योगाचार्य राजकुमार भास्कर पिछले 16 सालों से शिक्षा नगरी के नाम से विख्यात पिलानी शहर में निशुल्क योग कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। इन रोग कक्षाओं में आम लोगों की रूचि और रूझान देखकर योगाचार्य राजकुमार भास्कर ने इसको वृहद स्वरुप देने के लिए योग को पिलानी व आसपास के लोगों के घर घर तक पहुचाने का संकल्प लिया। इस संकल्प को साकार करने के लिए प्रबुद्धजन दीपचंद लाखवान, केसरराम, तेजपाल सिंह, नगेन्द्र नौवाल, धर्मेन्द्र कौशिक व सुनील कुमार शर्मा ने योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की है। यह ट्रस्ट विशुद्ध रूप से लोक कल्याण को समर्पित है। ट्रस्ट का मूल उद्देश्य पिलानी व आसपास के लोगों तक योग की दस्तक देना व लोक कल्याण की गतिविधियों को संचालित करना है। विदित हो कहते हैं अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। इसी मंत्र के मध्यनजर ट्रस्ट के सचिव दीपचंद लाखवान ने पिलानी शहर के धार्मिक व सामाजिक संगठनों, स्कूल, कालेज, अस्पताल आदि को एक छत के नीचे लाने को लेकर प्रयास करने की बात कही कि इस मिशन को कामयाब करने के लिए उपरोक्त संस्थानों को प्रेरित किया जाए। इसके साथ ही आगामी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पिलानी तालाब स्थित रामलीला मैदान में एक योग महासम्मेलन का आयोजन होगा। निश्चित रूप से योगाचार्य राजकुमार भास्कर व ट्रस्ट के पदाधिकारी इस बात को लेकर साधुवाद के पात्र हैं कि सनातन धर्म की इस पौराणिक परम्परा को जीवंत रखने का बीड़ा उठाया है। योगाचार्य राजकुमार भास्कर के योग गुरू बाबा रामदेव प्रेरणाश्रोत है, जिन्होंने सनातन धर्म की इस पताका को पूरे विश्व पटल पर फहराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है ।
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