साल की उम्र से पौधारोपण, अब तक लगाए 1 लाख से अधिक पौधे

AYUSH ANTIMA
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मुंडावर (जयबीर सिंह): जहां आज भी पर्यावरण दिवस केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, वहीं मुंडावर के सुरेंद्र सैन उर्फ बंटी सैन के लिए यह दिन जीवन का मिशन बन चुका है। 8 साल की छोटी उम्र में लगाया पहला पौधा आज एक हरे-भरे आंदोलन में बदल चुका है। पिछले 45 वर्षों में एक लाख से अधिक पौधों का रोपण कर बंटी सैन बन गए हैं "हरियाली के सच्चे सिपाही"। बंटी सैन की हरियाली की कहानी किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं है। जैसे बिहार के "माउंटेन मैन" दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया, वैसे ही बंटी सैन ने अपने जुनून और समर्पण से प्रकृति का रास्ता सजाया है। वे पौधा लगाकर छोड़ते नहीं, बल्कि उसे पेड़ बनने तक साथ निभाते हैं। यही कारण है कि 70-80 हजार से अधिक पौधे आज भी जीवित हैं। गुरु घीसादास से मिली प्रेरणा, हर कोना बना नर्सरी गांव पेहल के रहने वाले बंटी सैन बताते हैं कि गुरु घीसादास की शिक्षा ने उन्हें प्रकृति से प्रेम करना सिखाया। अपने घर को उन्होंने हरियाली का मंदिर बना दिया है—छत, आंगन, कमरे, गैलरी तक पौधों से भरे रहते हैं। खाली समय मिलते ही वे खुद कुदाल, पानी की बाल्टी और पौधे लेकर निकल पड़ते हैं। सैकड़ों सार्वजनिक स्थलों को बनाया हरा-भरा, पुलिस थानों से लेकर श्मशान घाट, स्कूलों, अस्पतालों, और मंदिर परिसरों तक, सुरेंद्र सैन ने सैकड़ों स्थानों पर पौधे लगाकर उन्हें जीवनदान दिया है। वे अपने खर्चे पर पौधे तैयार करते हैं और रोपण करते हैं। उनका मानना है—जितनी हरियाली, उतनी स्वच्छता और स्वस्थ जीवन। 

*पर्यावरण के लिए जन-जागरण योद्धा*
पौधे लगाने के साथ-साथ सुरेंद्र सैन लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करते हैं। सरकारी सेमिनारों, स्कूल कार्यक्रमों से लेकर घर-घर जाकर, वे जल, जंगल और जमीन की अहमियत बताते हैं। खास तौर पर युवाओं को जोड़ते हैं, वृक्षारोपण अभियानों से ताकि आने वाली पीढ़ी जिम्मेदारी समझे।

*दिन की शुरुआत चाय से नहीं, पौधों से करते हैं*
उनकी दिनचर्या दूसरों से बिल्कुल अलग है। वे कहते हैं—
लोग जहां दिन की शुरुआत चाय से करते हैं, मैं पौधों को पानी देने और रोपने से करता हूं। यह आदत नहीं, उनकी जीवनशैली बन चुकी है।

 *मोबाइल से दूरी, हरियाली से नज़दीकी* 

जहां आज की पीढ़ी मोबाइल में उलझी है, सुरेंद्र सैन मोबाइल नहीं रखते और सोशल मीडिया से दूर रहते हुए अपनी ऊर्जा सिर्फ पौधों को समर्पित करते हैं। आज के डिजिटल युग में सुरेंद्र जैसा समर्पण दुर्लभ है—एक व्यक्ति, जो पेड़-पौधों के लिए जीता है।"भविष्य के लिए हरियाली का संकल्प, बंटी सैन का सपना है कि आने वाली पीढ़ियों को मिले एक स्वस्थ, हरा-भरा वातावरण। वे कहते हैं यदि अब नहीं चेते, तो प्रदूषण मानव जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा।

 *पर्यावरण दिवस पर उनका संदेश* 

यह दिन सिर्फ कार्यक्रमों के लिए नहीं है, यह संकल्प का दिन है। आइए, हम सब मिलकर हरित क्रांति की शुरुआत करें और आने वाली पीढ़ियों को एक हरा-भरा भविष्य दें। हर साल कम से कम 5 पौधे लगाएं, और उन्हें अपने बच्चों की तरह पालें। ट्री-मैन बंटी सैन की कहानी सिर्फ एक इंसान की नहीं, यह उस सोच की मिसाल है जो कहती है, अगर चाहो तो एक अकेला इंसान भी धरती को हरा कर सकता है।

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