संयुक्त अभिभावक संघ के तत्वावधान में अब हर सप्ताह होगी RTE के अभिभावकों की बैठक

AYUSH ANTIMA
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जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): देश के हर बच्चे को जरूरी शिक्षा उपलब्ध हो सके, इसको लेकर 14 वर्षों पहले राइट टू एजुकेशन (आरटीई) अधिनियम एक्ट लेकर आया गया और इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में कक्षा 1 निशुल्क दाखिले का प्रावधान किया गया था। यह कानून पूरे देश में लागू है, समय बीतने और इस अधिनियम में आजvतक संशोधन नहीं होने के चलते पूर्वर्ती सरकार ने राजनीतिक लाभ लेने के चलते प्रदेश में आरटीई के तहत कक्षा नर्सरी में भी निशुल्क दाखिले का प्रावधान कर दिया और स्कूलों को बिना पुनर्भरण राशि दिए दाखिले करने का आदेश दिया, जिसका निजी स्कूल संचालक लगातार विरोध कर रहे है और अभिभावक असमंजस की स्थिति में आ गया है। अब तक जहां पहले निजी स्कूल आरटीई के तहत नर्सरी में दाखिले नहीं देते थे, अब वहीं निजी स्कूल राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा आश्चर्यचकित कर देने वाले अंतरिम आदेश का हवाला देकर कक्षा 1 में दाखिले नहीं दे रहे है, जिससे प्रदेश के ढाई लाख विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगा है क्योंकि इस वर्ष 3.09 लाख विद्यार्थियों ने नामांकन दाखिल किए थे, जिसमें से लगभग ढाई लाख विद्यार्थी पहली कक्षा के है। संयुक्त अभिभावक संघ तो लगातार हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर लगातार आक्रोश जता रहा है किंतु अब अभिभावक भी खुलकर सामने आने लगे है, रविवार को संघ के तत्वाधान में मानसरोवर किरण पथ स्थित सेक्टर 3 के पार्क में ओपन बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में अभिभावकों सहित प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, प्रदेश महामंत्री संजय गोयल और प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू शामिल हुए। बैठक के दौरान निर्णय किया गया कि सड़क से लेकर न्यायालय तक जरूरतमंदों की मदद के लिए संघर्ष किया जाएगा और प्रत्येक रविवार को प्रातः 9 बजे से 11 बजे तक अभिभावकों की बैठक का आयोजन किया जाएगा, साथ ही संगठन के विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी और एडवोकेट खुशबू शर्मा के निर्देश में कोर्ट की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश के बाद प्रदेशभर के निजी स्कूल हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर कक्षा 1 में विद्यार्थियों के दाखिले नहीं ले रहा है और 8 जुलाई के बाद स्थिति स्पष्ट करने की बात बोल रहा है, जबकि निजी स्कूलों की मुख्य लड़ाई कक्षा नर्सरी में दाखिले को लेकर थी, जिसमें राज्य सरकार पुर्नभरण राशि नहीं दे रही है, किंतु जिसमें पुर्नभरण राशि मिल रही है, अब उसमे भी दाखिले नहीं दे रहे है। निजी स्कूल का हर साल का प्रोपोगंडा बन चूका है की कोई ना कोई व्यवधान उत्पन कर बच्चों से उनकी शिक्षा का अधिकार छीन लेते है इस वर्ष आरटीई के तहत तीन लाख 9 हजार विद्यार्थियों ने दाखिले के लिए नामांकन भरा है जिसमें से अकेले कक्षा 1 में ढाई लाख से अधिक विद्यार्थियों के आवेदन है और यह आवेदन अभिभावकों ने जबरदस्ती नहीं दिए है। शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार दिए है, अब जब अभिभावकों ने तीन – चार हजार रु खर्चा कर जरूरी दस्तावेज तेयार कर दाखिले के लिए सबमिट कर दिए, विभाग और मंत्रालय ने दाखिले के आवंटन की लॉटरी तक निकालकर दे दी तो अब राजस्थान हाईकोर्ट का डंडा चल गया जिसका हवाला देकर अब निजी स्कूल दुबारा अपनी मनमानी करने लग रहे है और स्पष्ट शब्दों में दाखिला नहीं देने की खुलेंआम धमकियां दे रहे है और वेसे भी यह स्कूल और राज्य सरकार की आपसी लड़ाई है जो उन्हें भुगतना चाहिए किन्तु यहाँ न्याय देना तो दूर ना केवल अभिभावकों को प्रताड़ित किया जा रहा है बल्कि बच्चों से उनकी शिक्षा का अधिकार भी खुलेआम लुटा जा रहा है। संयुक्त अभिभावक संघ शिक्षा को बचाने वाला संगठन है साथ ही अभिभवकों और विधार्थियों के अधिकारों के संरक्षण की लड़ाई का संगठन है, किसी भी सूरत में बच्चो से उनका अधिकार छिनने नहीं दिया जायेगा, संघ ना केवल सडक पर संघर्ष करेगा बल्कि न्यायालय की डबल बेंच ने चल रहे इस केस में भी पार्टी बनकर अभिभावकों का पक्ष भी रखेगा।

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