कोटपूतली (रमेश बंसल मुन्ना): कोटपूतली-बहरोड़ जिले में शनिवार, 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस (वर्ल्ड हाईपरटेंशन डे) के अवसर पर सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर डायबिटिज एवं हाईपरटेन्शन स्क्रीनिंग कैम्प का आयोजन कर बीपी एवं शुगर के मरीजों की जाँच की गई, साथ ही आमजन को इस बीमारी के प्रति जागरूक भी किया गया। सीएमएचओ डॉ.आशीष सिंह शेखावत ने बताया कि विश्व हाईपरटेंशन दिवस का उद्देश्य लोगों को उच्च रक्तचाप यानी हाईपरटेंशन के खतरे, लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूक करना होता है। यह एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस है, जिसे विश्व हाईपरटेंशन लीग द्वारा शुरू किया गया था। हाईपरटेंशन वह स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव लगातार बहुत अधिक होता है। हाईपरटेंशन के कारण दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा रहता है।
*हाईपरटेंशन के लक्षण*
सीएमएचओ डॉ.आशीष सिंह शेखावत ने बताया कि अधिकांश लोगों में उच्च रक्तचाप आम तौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाता है। हालांकि जिन लोगों का रक्तचाप बहुत अधिक होता है। उनमें भयानक सिरदर्द, छाती में दर्द, सांस लेने में समस्या, चक्कर आना, चिंता, भ्रम, बेचैनी, उल्टी, दृष्टि में परिवर्तन, नाक से खून आना और असामान्य दिल की धडकऩ, थकावट या सांस फूलना आदि लक्षण दिखाई देते है। उच्च रक्तचाप एक गंभीर स्थिति है जो तब होती है, जब हमारी रक्त वाहिकाएं अत्यधिक दबाव (140/90 एमएमएचजी या उससे अधिक) में होती हैं। इसका तुरंत ईलाज किया जाना चाहियें, क्योंकि अगर इसे नजर अंदाज किया गया तो यह हृदय रोग, दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी अधिक गंभीर और घातक स्थितियों में बदल सकता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार उच्च रक्तचाप आमतौर पर धीरे-धीरे दिखाई देता है। इसे खराब जीवन शैली विकल्पों जैसे खराब खानपान की आदतों और शारीरिक गतिविधि की कमी से जोड़ा जा सकता है। मोटापा और मधुमेह दो स्थितियां हैं जो उच्च रक्तचाप के खतरे को बढ़ा सकती हैं। गर्भावस्था से संबंधित उच्च रक्तचाप कभी-कभी भी हो सकता है। अत्यधिक रक्तचाप या हाईपरटेंशन का पता लगाने और उसे नियंत्रित करने के लिये नियमित रूप से रक्तचाप की निगरानी की जानी चाहिये, जो हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का मुख्य कारण है। यह स्वास्थ्य विकारों की पहचान करने और रक्तचाप पर जीवनशैली के प्रभाव का आकलन करने में भी सहायता करता है।
*कब और क्यों मनाया जाता है विश्व हाईपरटेंशन डे*
पहली बार विश्व हाईपरटेंशन दिवस 14 मई 2005 में मनाया गया था। हालांकि अगले साल 2006 में हाईपरटेंशन डे को 17 मई से स्थायी रूप से मनाया जाने लगा। इसका मकसद दुनिया भर में हाईपरटेंशन के बढ़ते मामलों के बारे में लोगों को जागरूक करना है।
*क्या है हाईपरटेंशन*
हाई ब्लड प्रेशर एक "साइलेंट किलर" है, क्योंकि यह बिना किसी स्पष्ट लक्षण के शरीर को नुकसान पहुंँचा सकता है। यह हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी फेलियर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकता है।
*हाई बीपी होने के कारण*
बहुत ज्यादा नमक खाना, ज्यादा तला-भुना या जंक फूड खाना, चिंता या तनाव लेना, मोटापा, व्यायाम ना करना, शराब या सिगरेट पीना, परिवार में पहले से किसी को हाई बीपी होना आदि कारण हो सकते है।
*हाई बीपी से बचने के आसान तरीके*
खाने में नमक कम करें, रोज थोड़ा व्यायाम या टहलना शुरू करें, ताजे फल-सब्जियां खायें, तनाव कम करें-मेडिटेशन या योग करें, धूम्रपान और शराब से दूर रहें, समय-समय पर बीपी की जांच करायें, अगर डॉक्टर ने दवा दी है, तो सही समय पर लें आदि बचाव के तरीके अपनाने चाहिये।
*स्वास्थ्य केन्द्रों पर एनसीडी के तहत नियमित की जा रही मरीजों की जाँच*
केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे एनसीडी कार्यक्रम के तहत जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर मरीजों की हाईपरटेंशन व डायबिटीज की नियमित जाँच एवं स्क्रीनिंग की जाकर उनका फॉलोअप किया जाता है। इसके लिये स्वास्थ्य केन्द्रों पर सीएचओ को प्रशिक्षण देकर विशेष रूप से मरीजों की जाँच, एनसीडी स्क्रीनिंग व रिपोर्टिंग आदि की जिम्मेदारी दी गई है। ताकि मरीज हाईपरटेंशन व डायबिटीज जैसी बीमारी का समय पर उपचार ले सकें।