जो किताबों में नहीं वह नन्हें बालकों को समझाती हूं...

AYUSH ANTIMA
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अलवर (ब्यूरो): नैतिक शिक्षा की किताब भले ही कोर्स से गायब हो गई हो लेकिन आज भी कुछ व्यक्तित्व ऐसे हैं, जो नैतिकता के संस्कार नन्हें बालकों को देने में दिन और रात जुटे हुए है । ऐसा ही एक नाम अलवर की समाजसेवी मंजू चौधरी का है, जो अलवर शहर के स्थानीय विद्यालयों में जाकर नन्हें बालकों को संस्कार और जीवन जीने की कला सिखाने का कार्य कर रही है। बकौल समाजसेवी मंजू चौधरी ने पत्रकार मनीष अरोड़ा को एक खास बातचीत में बताया कि वह नन्हे मुन्ने को वह बातें समझाती हैं जो कि उन्हें किताबों में लिखी नहीं मिलती। मंजू चौधरी के अनुसार जीवन जीने के सामान्य दिनचर्या में क्या तौर तरीके होने चाहिए, इसके साथ ही नैतिक संस्कारों की शिक्षा भी मंजू चौधरी बालकों को देने में जुटी हुई है। उन्होंने बताया कि वह विद्यालय में एक स्वयंसेवी के रूप में जाकर स्पेशल क्लासेज में बालकों को यह समझाती हैं कि उन्हें जीवन में किस प्रकार से संस्कारों के साथ ही जीना चाहिए। इसके साथ ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता का भी ख्याल रखना चाहिए। उल्लेखनीय है कि समाजसेवी मंजू चौधरी कई उद्योगों की मालकिन होने के बाद भी अपने सादगी पूर्ण जीवन के लिए जानी जाती हैं। इससे पूर्व भी वे विभिन्न संस्थानों में बाल संस्कार शिविर लगाकर बालकों में भारतीय संस्कार, संस्कृति और सभ्यता की सीख दे चुकी है। शहर की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी मंजू चौधरी का कहना है कि जीवन की आखिरी सांस तक वह जो भी समाज के लिए कर सकते हैं, आवश्यक रूप से करती रहेंगी ताकि समाज की बेहतरीन के लिए वह काम आ सके।
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