राजस्थान के कृषि मंत्री डाक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने अजमेर संसदीय क्षेत्र के किशनगढ में मिलावटी खाद बनाने की फैक्ट्रियों पर छापामार कार्रवाई की। मंत्री मीणा इस बात के मोका ए वारदात के गवाह है कि डीएपी यूरीया आदि खाद में मार्बल पत्थर का पाउडर और मिट्टी मिलाई जा रही थी। इन फैक्ट्रियों में बनने वाली नकली खाद पंजाब, हरियाणा, उतर प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों में सप्लाई हो रही थी। छापामार कार्रवाई के दौरान मीणा ने बताया कि उन्हें मिलावटी खाद बनाने को लेकर शिकायते मिली थी। मैंने संबंधित अधिकारियों को कार्यवाही करने के निर्देश दिए लेकिन मेरे निर्देशों की अनुपालन नहीं हुई। इसलिए इस छापामार कार्रवाई में खुद को ही आना पड़ा। मंत्री मीणा का यह बयान कि अधिकारियों ने उनके आदेशों की अनुपालना नहीं की, डबल इंजन सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है कि सरकार पर नौकरशाही हावी है। जब एक कैबिनेट मंत्री के आदेश अधिकारी नही माने तो आम जनता को न्याय की आशा करना बेमानी होगा। राजस्थान में मंत्री, विधायक, भाजपा प्रत्याशी जो एक नया संवैधानिक पद का सृजन हुआ है, जन सुनवाई की खानापूर्ति कर फोटो सैशन कर आकाओं को खुश कर रहे हैं। जब इस जनसुनवाई में जनता की समस्याओं को लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हैं तो उनकी अनुपालन का अंदाजा कैबिनेट मंत्री डाक्टर मीणा के बयान से लगाया जा सकता है। अधिकारियों का मीणा के आदेशो को गंभीरता से नहीं लेना इस बात का संकेत है कि निश्चित रूप से इस मिलावटी खाद प्रकरण का पता उन अधिकारियों को था लेकिन कही न कही उनके निजी हितों का टकराव उन आदेशो को मानने में आड़े आ रहा था। सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की बात करती है लेकिन उसके अधिकारी इसको बढ़ावा दे रहे हैं। अब डाक्टर मीणा की इस छापेमारी का दूसरा पहलू देखें तो यह केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी के संसदीय क्षेत्र मे आती है। इस मिलावटी खाद के इस भ्रष्ट सिस्टम में प्रभावशाली लोगो की संलिप्तता बिना यह संभव नहीं हो सकता। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए हेल्थ कार्ड बनवा रहे हैं, वहीं कुछ लोग अन्नदाता की भूमि की ही हत्या कर रहे हैं। यह खबर इसलिए भी असरदार है कि केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री के संसदीय क्षेत्र में यह मिलावटी खाद का धंधा फल-फूल रहा है। किसानो के लिए यह मिलावटी खाद कोढ में खाज का काम कर रही है। देखा जाए तो कैबिनेट मंत्री डाक्टर मीणा की यह कार्यवाही निश्चित रूप से प्रशंसनीय है। डाक्टर मीणा इससे पहले भी अवैध खनन व अवैध बजरी खनन के मामले को पुरजोर तरीके से उठा चुके हैं। बहुचर्चित एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग भी डाक्टर मीणा की तरफ से लगातार जारी है। जिस तरह एक कैबिनेट मंत्री की बात को भजन लाल शर्मा सरकार के अधिकारी तवज्जो नही देते हैं तो सरकार के कामकाज पर प्रश्न चिन्ह लगने लाजिमी है। विपक्ष भजन लाल शर्मा सरकार को पर्ची की सरकार कहकर तंज कहती रही है कि सरकार के निर्णय पर्ची से ही होते है, इसी कारण मंत्रियों व विधायकों की मांगों और उनके आदेशों की अवहेलना अधिकारी कर रहे हैं ।
3/related/default