जोधपुर (रंजन दईया): पारिवारिक न्यायालय संख्या एक, जोधपुर के पीठासीन अधिकारी वरुण तलवार द्वारा दिया गया निर्णय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आया है कि शोषण से उत्पन्न संतान भी विधिक दृष्टिकोण से भरण-पोषण की पूर्ण अधिकारी होती है। प्रकरण में नरेश उर्फ़ निशांत पुत्र रामचंद्र जोशी, निवासी अरोड़ा नगर फतेहपुरा, उदयपुर, जो मार्बल व्यवसायी है, को आदेश दिया गया है कि वह अपनी अधर्मज संतान को 2016 से 14 अप्रैल 2025 तक ₹25,000 प्रतिमाह तथा अप्रैल 2025 से पुत्र के बालिग होने तक ₹35,000 प्रतिमाह का मासिक भरण-पोषण भत्ता अदा करे। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अभियुक्त ने अपनी साली की पुत्री के साथ अवैध संबंध बनाए थे, जिससे एक पुत्र का जन्म हुआ। इस विषय में पीड़िता द्वारा वूमेन एट्रोसिटी कोर्ट में परिवाद दायर किया गया था, किन्तु साक्ष्यों के अभाव एवं अभियुक्त की पत्नी तथा परिवारजनों को पहले से जानकारी होने के कारण अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
पूर्व में पीड़िता ने राजस्थान उच्च न्यायालय में पुत्र की पितृत्व जांच हेतु डीएनए परीक्षण की प्रार्थना की थी, परंतु अभियुक्त द्वारा यह स्वीकार कर लेने के बाद कि वह ही उक्त बालक का जैविक पिता है, न्यायालय ने डीएनए जांच की आवश्यकता नहीं समझते हुए प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया।
केस की पैरवी न्यायालय द्वारा नियुक्त विद्वान न्यायमित्र श्री दीनदयाल पुरोहित एवं श्रीमती क्षमा पुरोहित द्वारा प्रभावी रूप से की गई। यह ऐतिहासिक निर्णय यह स्पष्ट करता है कि बलात् संबंधों से उत्पन्न संतान भी भरण-पोषण का हकदार है, जिससे समाज में सकारात्मक चेतना उत्पन्न होगी और पीड़ितों को न्याय प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होगा।