निवाई (लालचंद सैनी): गांव नला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण अवतार का वर्णन किया गया। कथावाचक ने बताया कि राजा हरिशचन्द्र सत्यवादी थे, उनको भी सत्य की परीक्षा देनी पडी। इसके बाद राजा दशरथ के घर कौशल्या के गर्भ से भगवान श्रीराम, कैकयी के गर्भ से भरत जी, सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण व शत्रुघ्न का जन्म हुआ। भगवान राम का जन्म होने के बाद राजा दशरथ ने घर घर बधाई बांटी, चारों बालकों को गुरु वशिष्ठ के पास विद्या अध्ययन के लिये भेजा। गुरुजी ने उन चारों बालको को विद्या में परिपूर्ण किया। व्यवहारिक शिक्षा, धनुष विद्या सिखाई विद्या पूर्ण होने के बाद चारों भाई वापस अयोध्या आए। अयोध्या नगरी में चारों भाईयो का आदर सत्कार हुआ। उसी समय विश्वामित्रजी राम लक्ष्मणजी को लेने पहुंचे। राजा दशरथ ने गुरु वशिष्ठ जी के कहने से राम लक्ष्मण को महर्षि विश्वामित्र के साथ भेज दिया। रास्ते में भगवान राम ने ताडका का उद्धार किया, सहस्त्र सुभाहु का वध किया। मारीच को बाण से सत् योजन दूर भेज दिया और महर्षि विश्वामित्र का यज्ञ सफल करवाया। भगवान ने अहिल्या उद्धार, धनुष भंग, राम सीता विवाह, केवट का उद्धार, राम भरत मिलाप, सीता हरण, जटायु उद्धार, सुग्रीव मित्रता, हनुमानजी द्वारा लंका दहन, श्रीरामजी द्वारा रावण का वघ करने सहित कई लीलाओं का वर्णन किया। इस दौरान ठाकुरजी व व्यास पीठ की आरती करके प्रसाद वितरित किया। इस अवसर पर सीताराम दाधीच, जगदीश दाधीच, ओम दाधीच, सोनू दाधीच, लोकेश दाधीच, सीताराम दाधीच, कौशल दाधीच, अशोक शर्मा, रामेश्वर बराला, रामविलास खाती, सत्यनारायण अध्यापक व बदरी अध्यापक सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।
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