राजस्थान सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) लागू कर रखी है। इस स्कीम के तहत निजी अस्पताल में भी सरकारी कर्मचारियों का ईलाज निःशुल्क होता है, यानी उनके इलाज पर आने वाले खर्च की राशि का भुगतान सरकार करती है लेकिन इस स्कीम के तहत निजी अस्पताल जमकर फर्जीवाड़ा कर भुगतान उठा रहे हैं। ऐसे निजी अस्पताल सरकारी कर्मचारी का ईलाज केवल कागजों में कर सरकार को इसकी राशि का बिल भेज देते हैं । ऐसा नहीं है कि इस भ्रष्टाचार मे सभी निजी अस्पताल लिप्त है। ऐसा कारनामा वह निजी अस्पताल कर रहे हैं, जिनके पास मरीजों का टोटा है। सरकार इसको नियंत्रण व जांच करने के लिए सूत्रों की मानें तो करीब 500 करोड़ का भुगतान रोक रखा है लेकिन एक मारवाड़ी कहावत मोठ कं सागै घुण भी पीसृयो जा है चरितार्थ हो रही है कि ईमानदारी से इलाज करने वाले निजी अस्पतालों का भी भुगतान अटक गया है। इसका उदाहरण महावीर कैंसर अस्पताल में देखने को मिला कि भुगतान न मिलने के कारण राजगढ के विधायक मनोज न्यांगली की माताजी का ईलाज करने से मना कर दिया। इसको लेकर विधायक मनोज न्यांगली ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को अपनी माताजी का बिना ईलाज वापिस करने को लेकर पत्र लिखा है। जब विधायक की माताजी के साथ ऐसा व्यवहार हो तो आमजन की बात करना बेमानी होगा। यदि निजी अस्पताल यह कह रहे हैं कि बकाया राशि का भुगतान नहीं हो रहा, इस बात को मुख्यमंत्री भजन लाल नहीं नकार सकते। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पूरी पारदर्शिता बरतते हुए इस बात का ध्यान रखना होगा कि भ्रष्टाचार करने वाले निजी अस्पतालों की चपेट में ईमानदारी से काम करने वाले निजी अस्पताल न आए। इसको लेकर सरकारी कर्मचारियों में फैले असंतोष को भी शांत करना होगा। भ्रष्टाचार में लिप्त निजी अस्पतालों का दंड ईमानदारी से काम करने वाले निजी अस्पतालों को देने का कोई औचित्य नजर नहीं आता है। जो निजी अस्पताल इस फर्जीवाड़े में लिप्त है, उनका भुगतान रोककर उनको ब्लेक लिस्ट कर दिया जाए ।
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