डबल इंजन सरकार के रूझान भाजपाई अपनी ही सरकार के खिलाफ दे रहे ज्ञापन

AYUSH ANTIMA
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एक कहावत है कि जब करीबी दोस्त ही दुश्मनी वाला व्यवहार करें तो दुश्मनों की जरूरत नहीं पड़ती। यही चिड़ावा में देखने को मिल रहा है कि चिड़ावा के भाजपाई ही डबल इंजन सरकार के खिलाफ ज्ञापन देते नजर आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो चिड़ावा के एक प्राईवेट अस्पताल के मालिक ने नगर पालिका ईओ पर काम के एवज में 35 लाख रूपये लेने का आरोप लगाया है। अब इस आरोप में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच का विषय है व इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए क्योंकि भाजपा भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंश की बात करती रही है लेकिन इसके बाद चिड़ावा के स्थानीय भाजपा नेताओं का अपनी ही सरकार के खिलाफ ज्ञापन देना पोस्टमार्टम करना जरूरी हो जाता है। वैसे खींवसर के विधायक अपनी ही सरकार को कटघरे मे खड़ा कर चुके हैं कि उनकी अधिकारियों के स्थानांतरण व पदस्थापन में बिल्कुल नहीं चलती जबकि हनुमान बेनीवाल की खींवसर विधानसभा में चलती है। ऐसा ही आरोप नवलगढ़ विधायक भी लगा चुके हैं कि अधिकारी उनकी कोई सुनवाई नहीं करते हैं लेकिन चिड़ावा प्रकरण को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ ज्ञापन देना इस बात का संकेत है कि अभी भी स्थानीय नेता विपक्ष के फोबिया से बाहर नहीं निकले हैं। सूत्रों की मानें तो एक नेता ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मंत्री प्रेम के चलते ईओ का तबादला नहीं हो रहा है।‌ यदि उनके इस बयान को दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो इसमें गुटबाजी की बू नजर आ रही है, जिसका अंदेशा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व जिलाध्यक्ष के समय साफ दिखाई दे रहा था। पत्रकारिता हमारे लोकतंत्र का एक ऐसा स्तम्भ है, जो सरकार व आमजन के बीच में सेतु का काम करता है। सटीक पत्रकारिता वहीं होती है, जिसमें सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता के सामने उजागर करने के साथ सरकार की जन विरोधी निर्णयों को सरकार के संज्ञान में लाने का काम करें। किसी भी राजनेता को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि खबरे उनके अनुसार प्रकाशित होगी व पत्रकारों को सर्टिफिकेट बांटने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। सूत्रों की मानें तो चिड़ावा ईओ का एक विडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने उन पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इनके द्वारा पिलानी रोड पर एक नर्सिंग कालेज का निर्माण करवाया जा रहा है, जिसको लेकर नगर पालिका ने संज्ञान लिया कि यह अवैध निर्माण हो। इस दबाव की राजनीति के चलते रिश्वत का आरोप लगाया, जो बिल्कुल बेबुनियाद है। इस मामले को लेकर स्थानीय भाजपा नेताओं का डबल इंजन सरकार के खिलाफ आंदोलन करना या तो गुटबाजी का हिस्सा है या कहीं न कहीं स्थानीय नेताओं के निजी हितों की पूर्ति में ईओ बाधक बने हुए हैं।

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