कोटपूतली (रमेश बंसल मुन्ना): कस्बा सहित आसपास के क्षेत्र में गुरूवार, 13 मार्च व शुक्रवार, 14 मार्च को होली का दो दिवसीय पर्व बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर आमजन ने अपार जोश व उत्साह के साथ इस पर्व में भाग लेते हुये एक-दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनायें दी। गुरूवार को भद्रा काल के चलते होली का पूजन प्रात: 10.41 बजे से पूर्व एवं होली का दहन भद्रा के उपरान्त 11.31 बजे के बाद किया गया। परम्परा अनुसार कस्बे के पॉवर हाऊस, दिल्ली दरवाजा के पास 300 वर्ष पूरानी मुख्य होली का मुख्य यजमान पटेल परिवार की ओर से युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव भीम पटेल, राज व अमन पटेल द्वारा पं.श्याम लाल शर्मा के सानिध्य में वेद मंत्रोच्चार के साथ विधि विधान से पूजन अर्चन कर दहन किया गया, जिसके बाद आमजन ने होली में जौ की बालियां सेंकी। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी। जहाँ लोगों ने एक दूसरे के गले लगकर होली की बधाई दी। वहीं छोटो ने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया। इस मौके पर भीम पटेल ने अपने संबोधन में क्षेत्रवासियों को होली की बधाई देते आपसी सौहार्द व भाईचारे के साथ होली मनाने व युवाओं को धुलण्डी पर्व पर नशे से दूर रहने का संदेश दिया। होली का दहन के समय एएसपी वैभव शर्मा, डीएसपी राजेन्द्र बुरडक, एसएचओ राजेश शर्मा व्यवस्थायें बनाते नजर आये। इसी प्रकार कस्बे के कृष्णा टॉकिज के पास, आजाद चौक स्थित होली, मौहल्ला बड़ाबास, मौहल्ला बुचाहेड़ा, मौहल्ला बाछड़ी, अवध बिहारी मंदिर सहित विभिन्न स्थानों की होली का दहन भी किया गया। आजाद चौक में पं.शंकर लाल शर्मा ने होली की पूजा अर्चना करवाई। वहीं शुक्रवार को धुलण्डी का पर्व भी बड़े ही धूमधाम व उत्साह के साथ मनाया गया। जहाँ विभिन्न मंदिरों व देव स्थानों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे के रंग लगाकर बड़े ही धुमधाम व हर्षोल्लास के साथ बधाई व शुभकामनायें दी। जगह-जगह चंग की थाप पर लोग थिरकते हुये दिखाई दिये। इस वर्ष होली का जश्न आमजन ने जमकर मनाया।
*सदियों पूरानी है कोटपूतली की मुख्य होली*
उल्लेखनीय है कि कस्बे की पॉवर हाऊस स्थित मुख्य होली करीब 300 वर्ष पूरानी है। जिसका दहन मुख्य यजमान पटेल परिवार द्वारा किया जाता है। रियासतकालीन समय में खेतड़ी रियासत द्वारा कोटपूतली क्षेत्र में 120 गाँवों पर पटेल परिवार की नियुक्ति की गई थी। जिसके बाद से ही पटेल परिवार के पूर्वज मोतीलाल पटेल द्वारा होली का दहन की परम्परा शुरू की गई। जिसे पटेल परिवार द्वारा निरन्तर निभाया जा रहा है। उक्त होली यहाँ हिन्दू मुस्लिम के साम्प्रदायिक सौहार्द, आपसी प्रेम व भाईचारे का भी प्रतीक है, जिसका दहन यहाँ की नूरी मस्जिद के सामने होता है। साथ ही होलिका दहन में भक्त प्रहलाद को बचाने के बाद मस्जिद परिसर में स्थित एक पुरातन कुएं में उसे विसर्जित किया जाता है। होलिका दहन के पर्व में मुस्लिम बंधु भी उत्साह के साथ भाग लेते हैं।
*परम्परा, प्रतिष्ठा और गौरवशाली इतिहास के 300 वर्ष, ऐतिहासिक परम्परा का निर्वहन कर रहा पटेल परिवार*
ये किस्सा रियासत काल का है जब कोटपूतली खेतड़ी रियासत का अंग हुआ करता था। जब इस क्षेत्र को तंवरावाटी या तौरावाटी भी कहा जाता है। खेतड़ी एक सीमित संसाधनों, राजस्व व कम सैनिक शक्ति वाली रियासत थी। जो कि बीती सदियों में आजादी से पूर्व जयपुर व पटियाला के महाराजाओं को लगान भी भरती रही है। इतिहास में एक बार मराठों का शासन भी खेतड़ी पर रह चूका है। वजह थी खेतड़ी रियासत को लेकर जयपुर व पटियाला के महाराजाओं के बीच हुआ युद्ध, जिसमें हार या जीत होने पर इसे एक-दूसरे को शासन के लिये सौंप दिया जाता था। एक बार तो जयपुर के महाराजा ने खेतड़ी रियासत को मराठों से युद्ध में हारने पर मराठों को भी युद्ध की सन्धि राशी वसूलने के लिए सौंप दिया था। ऐसे में पहले से ही राजस्व की कमी से जूझ रही रियासत को भारी करों का सामना करना पड़ा। रियासत को भारी कर की अदायगी लगान के रूप में कोटपूतली परिक्षेत्र के 120 गांव से होती थी। जिसके लिए 120 गाँवो से लगान की वसूली के लिए 4 ठिकानों का निर्माण यहाँ किया गया था। दरअसल में तब कोटपूतली शब्द अस्तित्व में भी नहीं आया था। कोटपूतली के राजपूत ठिकानेदार 18 वीं की सदी के अंत तक खेतड़ी रियासत को लगान चुकाने में कमजोर हो चले थे। ऐसे में 120 गाँवों के ठिकानेदारों पर राजस्व वसूली की निगरानी के लिए दरबार की और से परगना पटेल का पद सृजित किया गया। जिसकी जिम्मेदारी कांवर गौत्र के बड़े गुर्जर जमींदार मोती लाल के सुपुर्द करते हुए न्यायिक शक्तियाँ भी निहित की गई। पटेल की पदवी दरबार की और से मिलने के बाद क्षेत्र की लगान वसूली व न्यायिक व्यस्थाओँ पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए मोती पटेल की और से यहाँ के भादरगाजी अर्थात बहादुर शाह गाजी के पास होली का दहन शुरू किया गया। तब ही से इस होली के दहन में चौधरी की उपाधी वाले महाजन परिवार व चार मौहल्लों के ब्राह्मण एवं पुरोहित परिवार सम्मिलित होते रहे है। बुजुर्गो की कहावतों के अनुसार खेतड़ी दरबार के द्वारा कोटपूतली में केवल दो ही पद सृजित किये गए थे लगान वसूली व न्यायिक कार्यों के लिए पटेल एवं व्यवस्थाओं के लिए चौधरी की उपाधि, दोनों ही पदों पर काम करने वाले लोगों ने देश की आजादी तक इन व्यवस्थाओं का बखूबी संचालन किया। कहावत है की जब तक मोती पटेल की गुड़ की भेली नहीं आ जाएगी तब तक कोटपूतली की होली नहीं मंगलेगी, कालान्तर में देश की आजादी के बाद भी परम्पराओं का निर्वहन इनके द्वारा बखूबी किया जाता रहा है। पटेल के पद को 90 के दशक तक स्व. श्री हिरालाल पटेल द्वारा सुशोभित किया गया। वर्तमान में भी पटेल परिवार द्वारा इस गौरवशाली परंपरा का निर्वहन अपने पूर्वजों की तरह ही किया जा रहा है।