अलवर : शास्त्रों में कहा गया है कि ईश्वर प्राप्ति के कलयुग में दो ही मार्ग है, सेवा और सत्संग। जो भक्त सेवा नहीं कर सकते, वह सत्संग के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति का मार्ग चुन सकते हैं, वहीं जो लोग सेवा करने में सक्षम है, वह सेवा के माध्यम से ईश्वरीय कृपा को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। ऐसा ही जज्बा अलवर के टेल्को चौराहे स्थित ज्ञानी संत सिंह जी मस्कीन के तीन दिवसीय गुरमत समागम में देखने को मिला। मस्कीन जी के इस तीन दिवसीय 65वें समागम में श्रद्धालुओं का सेवाभाव देखते ही बनता था। लंगर में जब हमारे संवाददाता मनीष अरोड़ा ने जाकर देखा तो महिलाएं और पुरुष पूरी शिद्दत के साथ लंगर बनाने में व्यस्त दिखाई दिए, वहीं लंगर बांटने के दौरान छोटे-छोटे बच्चे अपने हाथ में लंगर की सामग्री वितरित करते नजर आए। ज्ञानी संत सिंह मस्कीन के पोते अर्षप्रीत सिंह ने बताया कि बचपन से ही ज्ञानी संत सिंह जी मस्कीन को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग खोजने की लगन लग गई थी, जिसके चलते उन्होंने अध्यात्म का गूढ़ अध्ययन कर आजीवन सिख धर्म का प्रचार-प्रसार देश और विदेश में किया। उन्होंने बताया कि यह आयोजन पिछले 65 वर्ष से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। तीन दिवसीय इस धार्मिक आयोजन में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचकर धर्म का लाभ लेते हैं और बढ़-चढ़कर सेवा भी करते हैं। गुरुद्वारे के सेवादार बख्शीश सिंह ने बताया कि अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा आदि से भी संगत पहुंचती है। वही सेवादार हरप्रीत सिंह का कहना था कि विश्व प्रसिद्ध कीर्तनी जत्थेंअलवर में गुरबाणी कीर्तन करने पधारे। इसके साथ ही भले ही वह पार्किंग सेवाएं हो या अतिथियों के रुकने की व्यवस्था हो सभी बड़ी ही मुकम्मल दिखाई पड़ी। गुरु ग्रंथ साहब में यह कहा भी गया है कि "जिस मस्तक भाग सो लागा सेव" अर्थात जिसके भाग्य में सेवा करना है, उसे ही गुरु महाराज अपनी सेवा प्रदान करते हैं। इसके साथ ही जोड़ा घर अर्थात जूते और चप्पल जमा करने के स्थान पर भी पूरी श्रद्धा के साथ सेवा की जा रही थी, वहीं बर्तन माजने की सेवा को भी बड़ा महत्व दिया गया है। इस तीन दिवसीय गुरमत समागम में राजस्थान राजस्थान सरकार में वन राज्य मंत्री संजय शर्मा, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह पाटा, मुकेश विजयवर्गीय के अलावा कांग्रेस जिला अध्यक्ष योगेश मिश्रा, गौरी शंकर विजय गुरु ग्रंथ साहिब का आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचे।
उल्लेखनीय है कि अलवर में आयोजित होने वाले दो बड़े समागम, जिनमें प्रतिवर्ष फरवरी माह में आयोजित होने वाले संत सुखदेव शाह जी महाराज की स्मृति गुरमुख सम्मेलन में ऐसा ही सेवा भाव देखने को मिलता है। वही प्रतिवर्ष मार्च माह में आयोजित ज्ञानी संत सिंह जी मस्कीन के गुरमत समागम में भी सेवा का जज्बा देखने लायक होता है।