अलवर : सिख जगत की महान् शख्सियत पंथरत्न ज्ञानी संत सिंह जी मस्कीन की मीठी याद में तीन दिवसीय गुरमत समागम का शुभारंभ हुआ। गुरमत समागम की शुरुआत 1 मार्च से हुई। अखंड पाठ के भोग पड़ने के बाद अलवर के टैल्को चौराहे स्थित मस्कीन जी के गुरुद्वारे में उनकी समाधी स्थल पर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। यह धार्मिक आयोजन प्रतिवर्ष 1, 2 व 3 मार्च को आयोजित किया जाता है, जिसमें न केवल देश से बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु पहुंचकर गुरु ग्रंथ साहब का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही प्रसिद्ध कीर्तनी जत्थे देश और विदेश से आकर संत सिंह मस्कीन के इस मीठी याद के कार्यक्रम में गुरबाणी कीर्तन से संतो को निहाल करते हैं।
सेवादार गुरचरण सिंह ने बताया कि प्रतिवर्ष इस कार्यक्रम का आयोजन ज्ञानी संत सिंह मस्कीन अपने जीवन में ही प्रारंभ कर गए थे, जो कि अब उनके देवलोक गमन के बाद भी निरंतर प्रतिवर्ष जारी है। वही गुरुद्वारे के सेवादार परमजीत सिंह ने बताया कि यहां पर पार्किंग की सुविधा से लेकर रहने की व्यवस्था और गुरु का अटूट लंगर लगातार तीन दिन तक जारी रहता है। गुरबाणी कीर्तन करने वाले प्रसिद्ध कीर्तनी भाई सरबजीत सिंह रंगीला (दुर्ग वाले), भाई सुखदेव सिंह (दिल्ली वाले), भाई फक्कड़ जी सहित हरमंदिर साहिब से पधारे ख्यातनाम रागी जत्थों ने गुरूबाणी कीर्तन किया। ज्ञानी संत सिंह जी मस्कीन के पोते अर्षप्रीत सिंह ने बताया कि प्रतिवर्ष यह समागम संत सिंह जी मस्कीन की याद में आयोजित किया जाता है, जिसमें अलवर के अलावा देश-विदेश से संगते बढ़-चढ़कर सेवा करने और गुरबाणी का लाभ लेने अलवर पहुंचती है। कार्यक्रम में प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी स्वर्ण मंदिर (अमृतसर) से कीर्तनी जत्थे अमृत वर्षा करने अलवर पहुंच रहे हैं, जो की न केवल देश में बल्कि विदेश में भी ख्यातनाम है।
उल्लेखनीय है कि अलवर में जन्में ज्ञानी संत सिंह मस्कीन ने गुरुग्रंथ साहिब का इतना गूढ़ अध्ययन किया, जिससे न केवल भारत में बल्कि विदेश में भी सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आजीवन जुटे रहे। उन्हीं की याद में प्रतिवर्ष यह तीन दिवसीय गुरमत समागम अलवर की पावन धरा पर आयोजित किया जाता है।