कोटपूतली (रमेश बंसल मुन्ना): विधायक हंसराज पटेल ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिखकर कोटपूतली पंचायत समिति क्षेत्र की 15 ग्राम पंचायतों को नगर परिषद क्षेत्र से हटाकर पुन: पंचायती राज संस्थाओं में जोडऩे की मांग की है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 के बजट में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटपूतली नगर पालिका को द्वितीय श्रेणी नगर पालिका से सीधे क्रमोन्नत करते हुये नगर पालिका श्रेणी प्रथम की बजाय नगर परिषद में क्रमोन्नत किया था। जिसके बाद नगर परिषद क्षेत्र में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नियमों के तहत 01 लाख से अधिक मतदाता बनाये जाने के लिये 30 नवम्बर 2022 को स्वायत्त शासन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी करते हुये 15 ग्राम पंचायतों को नगर परिषद क्षेत्र में शामिल करते हुये पंचायती राज संस्थाओं से पृथक कर दिया था। अब विधायक हंसराज पटेल ने उक्त 15 ग्राम पंचायतों को पुन: पंचायती राज संस्थाओं में जोड़े जाने की मांग की है। विधायक पटेल ने बताया कि उक्त 15 ग्राम पंचायतों के 33 गांवों में पिछले 02 वर्ष 02 माह से कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। इन गांवों की जनता के साथ जनप्रतिनिधि भी विकास कार्यो के लिये नगर परिषद में धक्के खाने पर मजबूर है। यहाँ तक की रोजमर्रा के कार्य भी बाधित हो रहे है। यह निर्णय नियमों के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों व सिद्धांतों के भी बिल्कुल विपरित था। उक्त जन विरोधी निर्णय से चुने हुये जनप्रतिनिधि भी अधिकार विहिन हो गये है। साथ ही उक्त ग्राम पंचायतों के सरपंच व पंचगणों के साथ-साथ पंचायत समिति सदस्यों व जिला पार्षदों का भी घोर अपमान एवं मतदाताओं के अधिकारों का हनन है, जो कि तानाशाहीपूर्ण निर्णय एवं ग्रामीणों को विकास से दूर करने की एक साजिश थी। जो कि प्राकृतिक न्याय के खिलाफ भी है। पत्र में पटेल ने मुख्यमंत्री शर्मा को लिखा है कि एक संवेदनशील सरकार के संवेदनशील मुखिया होने के नाते जन भावनाओं के अनुसार इन ग्रामीणों के साथ न्याय करते हुये विकास की मुख्य धारा में शामिल करने के लिये पुन: पंचायती राज संस्थाओं से जोडऩे का कार्य करें।
*तकनीकी रूप से भी गलत है निर्णय*
उल्लेखनीय है कि विधायक हंसराज पटेल ने इस सम्बंध में विगत दिनों राजस्थान विधानसभा में भी मांग उठाते हुये कहा था कि एक ओर तो कोटपूतली नगर परिषद में 15 किमी तक के क्षेत्र को जोड़ दिया गया है, वहीं दुसरी ओर यह दूरी मात्र 04 किमी ही है। पंचायती राज संस्थानों से पृथक होने के बाद ग्रामीणों को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे सामान्य कार्य के साथ-साथ सफाई, सडक़ निर्माण, रोशनी आदि व्यवस्थाओं के लिये भी नगर परिषद के चक्कर काटने पड़ रहे है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन 15 ग्राम पंचायतों को नगर परिषद में जोड़ कर नगर परिषद के निर्धारित मानदण्ड 01 लाख मतदाताओं के होने के नियम की पालना की गई। लेकिन इसमें समस्त अन्य बिन्दुओं को अनदेखा कर दिया गया। जबकि नियम यह भी है कि जिला मुख्यालय पर नगर परिषद गठन के लिये 01 लाख मतदाता होने की आवश्यकता नहीं है। नगर परिषद का गठन 50 हजार से 75 हजार मतदाताओं तक भी किया जा सकता है। जिसका उदाहरण प्रदेश की अन्य कई नगर परिषद है। बीते 15 वर्षो में कोटपूतली कस्बे का विकास तेजी से हुआ है। जिसमें शहर की सीमाओं से लगती ग्रामीण ईलाकों की कई कॉलोनियां भी है। जिसके वोटरों को भी शहर में जोडऩे का कार्य अभी तक सम्पन्न नहीं हुआ है। वर्ष 2011 के मास्टर प्लान को देखा जाये तो वर्ष 2031 से पूर्व पैराफेरी में आने वाले गांवों को किस हिसाब से परिषद में जोड़ दिया गया यह भी समझ से बाहर है। जबकि शहर की सीमाओं से लगते कुछ गांव व ढ़ाणियों को नगरीय क्षेत्र में शामिल करते हुये आसानी से नगर परिषद का गठन किया जा सकता है। यही नहीं नगर परिषद क्षेत्र को लगभग आधी विधानसभा में विस्तारित कर देने से पंचायती राज संस्थाओं के भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है। आखिरकार कोटपूतली पंचायत समिति के गठन हेतु न्यूनतम 25 ग्राम पंचायतों का निर्माण कहां से किया जावेगा। वहीं पंचायत समिति सदस्यों के साथ-साथ जिला परिषद की सीटें कैसे बनाई जायेगी यह भी बड़ा विषय है। क्षेत्र की ग्राम पंचायत केशवाना राजपूत के ग्राम केशवाना राजपूत, केशवाना गुर्जर, मलपुरा, मोरदा आदि ऐसे गांव है। जिनकी सीमा तहसील में किसी भी ओर ग्रामीण क्षेत्र से नहीं लगती। आखिर उन्हें किस तरह से जिला परिषद सीट में जोड़ा जायेगा यह भी विचारणीय विषय है। साथ ही ग्रामीण ईलाकों में कृषि भूमि होने एवं आबादी क्षेत्र के कम होने से नगरीय क्षेत्र का उपयोग किस प्रकार होगा यह भी बेहद उलझनों से भरा हुआ है। जबकि नियमानुसार केवल संक्रमण क्षेत्रों को ही जहाँ कुछ-कुछ आबादी है एवं नगरीय सीमाओं से लगे हुये उन्हें ही नगरीय निकायों में शामिल किया जा सकता है। वहीं कोटपूतली नगर परिषद क्षेत्र में संशोधन कर सीमावर्ती गांवों व ढ़ाणियों के ईलाकों को शामिल कर आसानी से नगर परिषद का गठन किया जा सकता है।