बाल व्यास श्रीकांत जी शर्मा ने शिव महापुराण कथा में शिव पार्वती विवाह का किया रोचक वर्णन

AYUSH ANTIMA
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झुंझुनू ): लावरेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की ओर से मंदिर के 33वें वार्षिक उत्सव के शुभ अवसर पर शिव महापुराण कथा यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर के सामने श्री चौथमल जी गोयनका नोहरा में किया जा रहा है। शिव महापुराण कथा यज्ञ में तीसरे दिवस रविवार को व्यास पीठ से विश्वविख्यात श्रद्धेय बाल व्यास श्रीकांत जी शर्मा ने अपने कोकिल कंठ से गणेश पूजन के साथ मधुर संगीतमय कीर्तन तथा सरल हिंदी भाषा में रोचक एवं ज्ञान राग दृष्टांत सहित कथा का रसपान श्रोता भक्तों को करवाया। इससे पूर्व भागवत ग्रंथ का पूजन मंदिर ट्रस्ट पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा विद्वान पंडितों के आचार्यत्व में किया गया। व्यास पीठ से बाल व्यास ने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह प्रसंग का रोचक वर्णन किया। बताया महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए शिव विवाहोत्सव मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर शिव विवाह की कथा सुनना और पढ़ना पुण्यदायी बताया। कथा मर्मज्ञ ने शिव बारात का रोचक वर्णन करते हुए कहा बारात में भूत-प्रेत, बेताल मगन होकर नाच रहे थे। भगवान शिव गले में नाग धारण किए नंदी पर विराजमान थे। भगवान विष्णु और ब्रह्माजी देवताओं की टोली लेकर चल रहे थे। त्रिलोक आनंद से मगन था। शिवजी के जयकारों से दिशाएं गूंज रही थीं। बारात देवी पार्वती के पिता राजा हिमाचल के द्वार पहुंची। स्वागत के लिए महिलाएं आरती की थाली लेकर आयीं। भगवान शिव की सासू मां मैना दामाद की आरती उतारने पहुंची तो शिवजी का रूप देखकर घबरा गईं। शिवजी की लीला से नागों ने फुफकारना शुरू कर दिया। तेज हवा से वस्त्र अस्त-व्यस्त होने लगे। मैना अचेत होकर गिर गई। चैतना लौटी तो कहा मैं अपनी सुकुमारी बेटी बाघंबरधारी, भस्मधारी को नहीं दे सकती। देवी पार्वती ने भगवान शिव की लीला समझ ली। माता पिता की आज्ञा लेकर शिवजी के पास गयीं और अपनी लीला समेटने की विनय की। देवी पार्वती की मनोदशा समझकर शिवजी ने लीला समेट ली और चंदरमौलि स्वरूप में प्रकट हो गए। तब देवी पार्वती की मां आनंद पूर्वक देवी पार्वती का विवाह करने को तैयार हुईं। विवाह आरंभ होने से पूर्व लोकाचार वश राजा हिमाचल की वंश परंपरा का बखान हुआ। नारदजी ने शिवजी की वंश परंपरा बताई। ब्रह्माजी पुरोहित और भगवान विष्णु देवी पार्वती के भाई बने। आनंदमय वातावरण में विवाह की कथा संपन्न हुई। कथा का समय 1 बजे से सायंकाल 5 बजे तक का रखा गया है। कथा स्थल को सुंदर वाटर प्रूफ टेंट बनाकर सजाया गया। कथा श्रवण हेतु महिलाओं एवं पुरुषों की बैठने के लिए अलग-अलग सुन्दर व्यवस्था सराहनीय रही। बसंत पंचमी के अवसर पर प्रातः 9 बजे से विद्वान पंडितों के आचार्यत्व में 51 किलो दूध एवं अन्य सामग्री से विधि विधान के साथ रुद्राभिषेक किया गया। रुद्राभिषेक के पश्चात आरती हुई एवं सभी श्रद्धालु भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर लावरेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी इंद्र कुमार मोदी दिल्ली, सुरेश चंद्र पंसारी, कृपा शंकर मोदी मुंबई, ओमप्रकाश तुलस्यान चेन्नई, राजकुमार अग्रवाल जयपुर, राधेश्याम ढंढारिया जयपुर, अनिल टेकड़ीवाल एवं दिनेश गुप्ता दिल्ली, परमेश्वर हलवाई, रमाकांत एवं प्रदीप जालान सूरत, जयपुर से प्रमोद अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, पूनम ढंढारिया, संजय अग्रवाल, शिखर चंद बैराठी, विनोद अग्रवाल, मुंबई से गोपी राम मोदी, संत कुमार मोदी, सूरत से विमल ढंढारिया, सुशील तुलस्यान हैदराबाद, चेन्नई से महावीर प्रसाद गुप्ता एवं गजेंद्र मोदी, अशोक अग्रवाल नीमकाथाना, रामकिशन लोहिया मुंबई, विशाल गोयल काठमांडू, मनीष गोयल अजमेर, स्थानीय कार्यकारिणी सदस्य बुद्धि प्रकाश अग्रवाल, श्रीकांत पंसारी, कैलाश अग्रवाल, राकेश तुलस्यान, डॉ.डीएन तुलस्यान, श्री गोपाल हलवाई, शिवचरण हलवाई, नितिन नारनोली, अनिल केजडीवाल, निर्मल मोदी, सुभाष जालान, पंडाल एवं स्टेज डेकोरेटर आशीष श्रीमोहन तुलस्यान, टेंट वाले रामावतार जांगिड़, कैलाश चंद्र सिंघानिया, रघुनाथ पौद्दार, अर्जुन वर्मा, शरद शर्मा, पवन केजडीवाल, उमाशंकर मंहमिया, पवन पुजारी, विनोद पुरोहित, डॉ.भावना शर्मा, महेश बसावतिया, रामगोपाल महमिया सहित अन्यजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। 3 फरवरी, शनिवार को कथा में गणेश जन्मोत्सव की कथा का वर्णन महाराज श्री करेंगे।

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