शिक्षा के मंदिर को शर्मसार करने की खबरो ने जनमानस को झकझोर कर रख दिया है। राजकीय स्कूलों के अध्यापकों ने इन मंदिऱो को तो शर्मसार किया ही है, इसके साथ ही आमजन में यह आवाज भी उठने लगी है कि क्या हमारी बेटियां सरस्वती के मंदिरो से सुरक्षित लोट पायेगी। शिक्षा के मंदिर में अध्यापक शिक्षा के पुजारी की बजाय हवस के पुजारी बन गये है। ताज़ा मामला शेखावाटी की वीर प्रसूता धरा को कलंकित करने वाले गुढ़ा से आया है कि स्थानीय राजकीय स्कूल के दो अध्यापकों ने स्कूल की दो छात्राओ को ज्यादा नंबर देने का लालच देकर अश्लील मैसेज भेजने के साथ ही एक अध्यापक ने अपने कमरे में बुलाकर ऐसी हरकत की, जिसका हमारा सभ्य समाज इजाजत नहीं देता। जो भाजपा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का उद्घोष करती रहती है, इसके विपरीत शिक्षा के मंदिर में बेटियां सुरक्षित नहीं है। शेखावाटी शिक्षा के क्षेत्र मे भी सिरमौर रही है, खासकर झुंझुनूं जिले की बेटियां पढ़ लिखकर हर क्षेत्र में कार्यरत होकर जिले का नाम रोशन कर रही है। विगत दिनों में राजस्थान के शिक्षा के मंदिर को शर्मसार करने वाला यह तीसरा वाक्या है। वैसे तो गुढ़ा के इस मामले में दोनों अध्यापकों की गिरफ्तारी के समाचार आ रहे हैं लेकिन इस घटना को लेकर स्कूल प्रशासन पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े होते हैं।
ऐसी घटनाओं का हमारे सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है क्योंकि यह देश गुरू शिष्य के आत्मीय संबंधों को लेकर पूरे विश्व में विख्यात रहा है। इन कलियुगी शिक्षकों ने गूरू शिष्य के मार्मिक संबंधों को तार तार किया है। शिक्षकों को मां सरस्वती का उपासक कहा जाता है लेकिन उनके इस कृत्य को लेकर बसंत पंचमी के दिन गिरफ्तार करना बहुत ही उनके माथे पर कलंक है। इसके साथ ही आमजन में एक ही ज्वलंत प्रश्न है कि यह आग कब बुझेगी ? इसका उत्तर सरकार व स्थानीय प्रशासन को देना ही होगा ।