भोलेनाथ का रुद्राभिषेक एवं फूलों की होली के साथ शिव महापुराण कथा को दिया विश्राम

AYUSH ANTIMA
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झुंझुनू  महादेव मंदिर ट्रस्ट की ओर से मंदिर के 33वें वार्षिक उत्सव के शुभ अवसर पर शिव महापुराण कथा यज्ञ में सातवें एवं अंतिम दिवस व्यास पीठ से विश्वविख्यात श्रद्धेय बाल व्यास श्री श्रीकांत जी शर्मा ने अपने कोकिल कंठ से गणेश पूजन के साथ मधुर संगीतमय कीर्तन तथा सरल हिंदी भाषा में रोचक एवं ज्ञान राग दृष्टांत सहित कथा का रसपान श्रोता भक्तों को करवाया। इससे पूर्व भागवत ग्रंथ का पूजन मंदिर ट्रस्ट पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा विद्वान पंडितों के आचार्यत्व में किया गया। शिव महापुराण कथा यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर के सामने श्री चौथमल जी गोयनका नोहरा में किया गया। परम् श्रद्धेय ब्रह्मलीन सद्गुरुदेव श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी आत्मारामजी महाराज के पावन आशीर्वाद से श्रीदादू द्वारा बगड़ गुरुदेव महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी अर्जुनदास जी महाराज के पावन सानिध्य में 
व्यास पीठ से बाल व्यास ने आशुतोष, भवानी शंकर भगवान शिव परम तपस्वी एवं ज्ञान, वैराग्य, भक्ति तथा योग साधना के शीर्षदेव हैं। उनकी आराधना से धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की सहज प्राप्ति होती है। प्रत्येक मनुष्य में शिव तत्व उपस्थित है और इसे शिव के प्रति अनुराग, भक्ति एवं आराधना से जागृत किया जा सकता है। आराधक उनके विभिन्न स्वरूपों को ध्यान में रखकर अपने को शिवमय कर सकता है। उन्होंने बताया कि तपस्या से संसार जनित विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं अहंकार से मुक्ति मिलती है। यह जनकल्याण का प्रथम चरण है। न्यूनतम आवश्यकताएं, भगवान शिव शरीर पर भस्म धारण करते हैं तथा मृगछाल पहनते हैं। हाथ में जल भरने हेतु कमंडल रखते हैं तथा खड़ाऊं धारण किए हैं। उनकी आवश्यकताएं अत्यंत सीमित हैं। इस मनोभावना के कारण व्यक्ति त्याग और असंग्रह की ओर प्रवृत्त होता है। महाराज श्री ने कहा कि सहनशीलता भगवान शिव, नीलकंठ हैं तथा कंठ में ही सदैव नाग को धारण करते हैं। उन्होंने समुद्र मंथन से प्राप्त विष को अपने कंठ में धारण किया है, जो यह संदेश देता है कि संसार में अनेक प्रकार की विषमताएं एवं विसंगतियां विद्यमान हैं। नीलकंठ स्वरूप हमें विपरीत परिस्थितियों में एवं विपरीत व्यवहार में भी अविचल रहने की प्रेरणा देते हैं। कथा के समापन पर फूलों की होली में भक्तों ने नाच गाकर ख़ुशी का इजहार किया। इससे पूर्व भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक भी किया गया। कथा स्थल को सुंदर वाटर प्रूफ टेंट बनाकर सजाया गया। पंडाल एवं स्टेज डेकोरेटर आशीष श्रीमोहन तुलस्यान, टेंट वाले रामावतार जांगिड़ की सेवाएं सराहनीय रही। इस अवसर पर लावरेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी इंद्र कुमार मोदी दिल्ली, सुरेश चंद्र पंसारी, कृपा शंकर मोदी मुंबई, ओमप्रकाश तुलस्यान चेन्नई, राजकुमार अग्रवाल जयपुर, राधेश्याम ढंढारिया जयपुर, अनिल टेकड़ीवाल एवं दिनेश गुप्ता दिल्ली, परमेश्वर हलवाई, रमाकांत एवं प्रदीप जालान सूरत, जयपुर से प्रमोद अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, पूनम ढंढारिया, संजय अग्रवाल, शिखर चंद बैराठी, विनोद अग्रवाल, मुंबई से गोपी राम मोदी, संत कुमार मोदी, सूरत से विमल ढंढारिया, सुशील तुलस्यान हैदराबाद, चेन्नई से महावीर प्रसाद गुप्ता एवं गजेंद्र मोदी, अशोक अग्रवाल नीमकाथाना, रामकिशन लोहिया मुंबई, विशाल गोयल काठमांडू, मनीष गोयल अजमेर, अनूप, सगुन अहमदाबाद गाड़िया , जयपुर से सुधीर गाड़िया, मुरारी बजाज, सुरेश बंसल, ओमप्रकाश सैनी, विकास बैराठी, अनिल शर्मा, नरेश टीब़डा, विनोद ढंढारिया, अरुण गुप्ता, स्थानीय कार्यकारिणी सदस्य बुद्धि प्रकाश अग्रवाल, श्रीकांत पंसारी, कैलाश अग्रवाल, कैलाश चंद्र सिंघानिया, अर्जुन वर्मा, शरद शर्मा, पवन केजडीवाल, नवल किशोर खंडेलिया, हरीश तुलस्यान, विनोद सिंघानिया, एडवोकेट संजय शर्मा, उमाशंकर मंहमिया, पवन पुजारी, विनोद पुरोहित, डॉक्टर भावना शर्मा, महेश बसावतिया, रामगोपाल महमिया, राकेश तुलस्यान, डॉ.डीएन तुलस्यान, श्री गोपाल हलवाई, शिवचरण हलवाई, पंडाल एवं स्टेज डेकोरेटर आशीष श्रीमोहन तुलस्यान, टेंट वाले रामावतार जांगिड़, नितिन नारनोली, अनिल केजडीवाल, निर्मल मोदी, सुभाष जालान, प्रमोद खंडेलिया, मातादीन टीबड़ा, सीए पवन केडिया, गोपाल हलवाई, सम्पत चुडैलावाला, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, जुगल मोदी, अजित राणासरिया एवं रामचन्द्र राणासरिया सहित अन्यजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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