महाकुंभ यात्रा

AYUSH ANTIMA
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सनातन धर्म मे‌ कुंभ स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इसमें स्नान करने से पापों से मुक्ति के साथ ही शरीर में धनात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पापों से मुक्ति का तात्पर्य नकारात्मक कर्मों से छुटकारा मिलना व गृहस्थ जीवन में तीर्थ यात्रा का भी विशेष स्थान है लेकिन जब गृहस्थ जीवन के सभी सामाजिक कार्यों की पूर्ति के बाद ही लोग तीर्थाटन की और रूख करते थे। हर सनातनी तीर्थाटन करके खुद को सौभाग्यशाली भी समझता था। 
प्रयागराज में सदी के महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। आंकड़ों की बात करें तो इस महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या करीब साठ करोड़ हो गई है।‌ मुझे भी इस महाकुंभ में संगम पर स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसको लेकर अभूतपूर्व व्यवस्था कर रखी थी। वैसे योगी आदित्यनाथ नाथ सम्प्रदाय के संत होने के कारण उनको इस महाकुंभ का सनातन धर्म में क्या विशेष महत्व है, उससे भली-भांति परिचित हैं और उसी महत्वत्ता को ध्यान में रखते हुए काफी बढ़िया प्रबंधन कर रखा है लेकिन आस्था में अवसर ढूंढने वाले हर धार्मिक स्थल पर मिल जायेंगे। महाकुंभ स्थल के बारह किलोमीटर की परिधि में प्रशासन ने लोकल बसे व आटो पर बैन लगा रखा था। इसका फायदा भी उठाते हुए वहां के स्थानीय मोटर साइकिल वालों को देखा गया लेकिन आजकल यह देखा गया है कि हर धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल बनाकर रख दिया है। मैंने इस बात को देखा कि महाकुंभ में जो लोग पधारे थे, उनमें से सतर प्रतिशत तीस साल की उम्र से कम के थे।‌ यह भीड़ वहां मौज मस्ती करती देखी गई। इतने लोगों का वहां पहुंचने में प्रचार प्रसार का भी विशेष योगदान रहा क्योंकि धार्मिक भावनाये इस कदर हावी हो गई, जैसे एक बार देखा गया था कि गणेश की प्रतिमा दूध पी रही थी। जब एक अफवाह ने देश के करोड़ों लोगों का रूख उन मंदिरों की तरफ कर दिया था, जहां भगवान गणेश जी की प्रतिमाएं थी। जिस सफर को दस बारह घंटे में पूरा करना था, वह जगह जगह जाम लगने के कारण तीस घंटे में पूरा किया गया। इस धार्मिक आयोजन को मिडिया ने एक इवेंट के रूप में परिवर्तित कर दिया ।
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