बीकानेर (नारायण उपाध्याय)। बीकानेर की यातायात व्यवस्था इन दिनों पूरी तरह चरमरा चुकी है। शहर के मुख्य बाजारों से लेकर हाइवे तक बदहाल ट्रैफिक ने आमजन का जीना मुश्किल कर दिया है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ट्रैफिक पुलिस इस गंभीर स्थिति को संभालने के बजाय खुद अव्यवस्था बढ़ाने में योगदान देती दिख रही है। मंगलवार शाम को शहर के हृदयस्थल कोटगेट पर जो तस्वीर सामने आई, उसने पुलिस की जिम्मेदारी और संवेदनशीलता, दोनों पर बड़े प्रश्नचिह्न लगा दिए।
दरअसल, मंगलवार को शाम करीब सात बजे रेलवे फाटक बंद होते ही कोटगेट और आसपास की सभी रोडे जाम हो गईं। दाऊजी मंदिर रोड, सट्टा बाजार गली, KEM रोड, कोयला गली, जिन्ना रोड सहित पूरे क्षेत्र में वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। जाम इस कदर था कि आपात वाहनों और पैदल राहगीरों तक के लिए रास्ता नहीं बचा।
सबसे चिंताजनक दृश्य तब देखने को मिला जब कोटगेट पर ट्रैफिक संभालने की जिम्मेदारी निभाने की जगह पुलिस की गाड़ी एक तरफ खड़ी थी और उसमें बैठे दो पुलिसकर्मी आराम से बैठे हुए थे। उनमें से एक पुलिसकर्मी मोबाइल पर रील देखने में मशगूल था। जैसे ही दैनिक खबरां की टीम का कैमरा ऑन हुआ, पुलिसकर्मी ने साइड ग्लास से देख लिया और तुरंत मोबाइल बंद कर नीचे उतर गया। यह दृश्य बताता है कि जब पूरे इलाके में लोग जाम में जूझ रहे थे, तब जिम्मेदारी संभालने वाले ही अपनी ड्यूटी से बेपरवाह बैठे रहे। उससे भी बड़ा सवाल कि जब पुलिस को पता है कि कोटगेट पर जाम की स्थिति ज्यादा रहती है तों क्या पुलिस का वाहन कोटगेट के आगे खड़ा करना सही है? क्योंकि कंही ना कंही पुलिस की गाड़ी भी जाम की वजह बन रही थी। और उससे भी बड़ी बात,मान लो पुलिस के हिसाब से कोटगेट पर पुलिस की गाड़ी खड़ी होनी अनिवार्य है तों क्या उसमे पुलिसकर्मियों का जाम के दौरान बैठा रहना कंहा तक उचित है यह समझ से परे है।
*बीकानेर में हर साल ट्रेफिक भार बढ़ रहा, लेकिन ट्रेफिक नीति वही!*
बीकानेर में पिछले कुछ वर्षों में ट्रैफिक कई गुना बढ़ चुका है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की व्यवस्था जस की तस है। शहर में पार्किंग की ठोस व्यवस्था नहीं, फाटक बंद होने के समय ट्रैफिक प्लान नहीं, भीड़भाड़ वाले पॉइंट्स पर पर्याप्त जवानों की तैनाती नहीं,और ऊपर से पुलिस का झुकाव चालान काटने पर ज्यादा, बजाय जाम कम करने पर। यही वजह है कि ट्रैफिक व्यवस्था रिएक्शन मोड में चलती है, न कि किसी सुदृढ़ सिस्टम के तहत। यातायात विशेषज्ञ मानते हैं कि कोटगेट और आसपास के इलाके में रेलवे फाटक की वजह से ट्रैफिक का दबाव पहले से ही बढ़ जाता है, लेकिन पुलिस और प्रशासन इसकी कोई ठोस तैयारी नहीं करते। स्मार्ट सिग्नल, कैमरा मॉनिटरिंग, अस्थायी डायवर्जन और पर्याप्त मैनपावर। इन सबकी भारी कमी साफ नजर आती है। स्थानीय लोग भी अब इसका विरोध जताने लगे हैं। उनका कहना है कि जाम रोजाना की समस्या बन गया है, जिससे समय और ईंधन दोनों की बर्बादी हो रही है, व्यापार भी प्रभावित होता है और शहर की छवि पर भी सवाल खड़े होते हैं।
*बीकानेर एक बढ़ता हुआ शहर,पुलिस प्रशासन को उठाने होंगे ठोस कदम*
पुलिस प्रशासन अपनी भूमिका की गंभीरता को समझे और कोटगेट सहित सभी प्रमुख ट्रैफिक पॉइंट्स पर तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए। लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो और शहर के लिए लंबी अवधि का ट्रैफिक प्लान तैयार किया जाए। बीकानेर एक बढ़ता हुआ शहर है, और उसकी ट्रैफिक व्यवस्था को जिम्मेदारी, अनुशासन और आधुनिक प्रबंधन की सख्त जरूरत है।