डेयरी विभाग युद्ध का अखाड़ा बन चुका है। ऐसे में चर्चा है कि डेयरी एवं पशु पालन विभाग के सचिव समित शर्मा और राजस्थान डेयरी फेडरेशन की प्रबन्ध निदेशक श्रुति भारद्वाज में से किसी एक को अपने पद से हटाकर दूसरी जगह लगाया जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समित शर्मा और श्रुति भारद्वाज में छत्तीस का आंकड़ा है। श्रुति द्वारा समानांतर रूप से सरकार चलाई जा रही है। परिणामतः वे समित शर्मा के निर्देशो की पालना करना अपनी तौहीन समझती है। दोनों अफसरों की आपसी जंग से सीएमओ भी वाकिफ है। बावजूद इसके जंग को रोकने की दिशा में कोई पहल नही की गई है। हो सकता है कि आने वाली आईएएस की सूची में जंग की समाप्ति देखने को मिल सकती है। उधर डेयरी फेडरेशन में विनोद गेरा नामक व्यक्ति ने ताउम्र अपने नाम का पट्टा लिखवा रखा है। गेरा को सेवानिवृत हुए कई साल बीत चुके है लेकिन वे सलाहकार के पद पर अपनी सेवा डेयरी को दे रहे है। इनका कार्यकाल पूरा होता, उससे पहले ही इनको पुनः प्रबन्धक (कार्मिक, प्रशासन और जन सम्पर्क) इसी 3 अक्टूबर को नियुक्त कर दिया गया है। डेयरी प्रशासन ने इस नियुक्ति की प्रति सचिव को भेजना भी मुनासिब नही समझा। गेरा स्वयं तो पिछले साढ़े तीन दशक से मलाई चाटने में लगे हुए है, इनकी पत्नी भी डेयरी फेडरेशन में ही कार्यरत है। इसके अलावा अब कई और रिश्तेदारों को भी नियुक्त करने की चर्चा है। उधर कार्मिक सचिव कृष्ण कांत पाठक के कार्यमुक्त होने के बाद कार्मिक विभाग में सचिव के बजाय प्रमुख शासन सचिव को नियुक्त करने की चर्चा है। यदि इस पद को पदोन्नत नही किया जाता है तो हिमांशु गुप्ता भी इस पद पर काबिज हो सकते है। अध्ययन अवकाश के बाद वे पुनः सेवा में लौटने वाले है। इनकी काबिलियत को देखते हुए इन्हें कोई अन्य महत्वपूर्ण पद भी दिया जा सकता है। ये भरतपुर के कलेक्टर रह चुके है और इनकी काबिलियत से सीएम सहित सीएस और शिखर अग्रवाल भी प्रभावित है।
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