भाजपा ने चिड़ावा पंचायत समिति की कांग्रेस समर्थित प्रधान को अनियमितता को लेकर पद से बर्खास्त कर एक नाटकीय घटनाक्रम में अपना प्रधान बना लिया। अभी हाल ही में सोशल मिडिया पर एक आडियो वायरल हो रहा है, उसको सुनकर यही कहा जा सकता है कि चिड़ावा पंचायत समिति में भ्रष्टाचार का तांडव देखने को मिल रहा है। एक ठेकेदार से 5 प्रतिशत कमीशन व 25 प्रतिशत जीएसटी वसूल किया गया। ठेकेदार ने जब प्रधान से बात की तो उस पूरे विडियो को सुनने के बाद इस भ्रष्टाचार की गंगा में प्रधान की कही भी संलिप्तता नजर नहीं आ रही है। सर्वविदित है भाजपा सरकार चाहे केन्द्र में हो, चाहे राज्य में, नाम बदलने में रिकॉर्ड बना चुकी है। उसी कड़ी में लगता है भ्रष्टाचार को नया नाम जीएसटी दे दिया, जिससे उस दावे को ठेस न पहुंचे की डबल इंजन सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस पर काम कर रही है लेकिन उपरोक्त प्रकरण का पोस्टमार्टम करे तो चिड़ावा पंचायत समिति में जो भ्रष्टाचार हो रहा है, उसकी कहीं न कहीं जवाबदेही प्रधान की भी है। प्रधान खुद किसी अधिकारीयो को तो कमीशन लेने की बात स्वीकार रहे हैं लेकिन खुद को नापाक बता रहे हैं। इसी क्रम में एक और विडियो वायरल हो रहा है, जिसमे ठेकेदार बीडीसी मेम्बर से बात कर सीधा पंचायत समिति प्रधान पर जीएसटी लेने का आरोप लगा रहे है। इन दोनों विडियो को देखे तो चिड़ावा पंचायत समिति में विशुद्ध रूप से जीएसटी की आड़ में भ्रष्टाचार का तांडव देखने को मिल रहा है। डबल इंजन सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है कि भाजपा सरकार पारदर्शिता से काम कर रही है और भ्रष्टाचार को लेकर किसी को भी नहीं बक्शा जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी भ्रष्टाचार को लेकर कहा है कि भ्रष्टाचारी मेरे ताप को सहन नहीं कर पायेंगे। इसके विपरीत जब पंचायत स्तर पर पंचायत समिति भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी हो तो विकास केवल प्रधान व पंचायत समिति अधिकारियों का हो रहा है। हालांकि आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) इन दोनों विडियो की सच्चाई की पुष्टि नहीं करता लेकिन इन दोनो विडियो ने पिलानी विधानसभा क्षेत्र के विकास के दावे की पोल खोल दी है।
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