हमें क्रोध का त्याग कर क्षमा धर्म का पालन करना चाहिए: ज्ञानश्री माताजी

AYUSH ANTIMA
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निवाई (लालचंद सैनी): सकल दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में शहर के सभी जिनालयों में उत्तम क्षमा धर्म की पूजा एवं विधान किया गया। विज्ञातीर्थ कार्याध्यक्ष सुनील भाणजा एवं हितेश छाबड़ा ने बताया कि दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, श्री दिगंबर जैन अग्रवाल मंदिर एवं सहस्त्रकूट विज्ञातीर्थ पर प्रात:काल भगवान शांतिनाथ का अभिषेक एवं शांति धारा हुई उसके पश्चात दसलक्षण मंडल विधान हुआ। जिसमें सौंधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य औमप्रकाश ललवाडी को प्राप्त हुआ। इस दौरान सांयकाल में महाआरती, शास्त्र सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। आर्यिका ज्ञानश्री माताजी ने बताया कि कोई श्रावक अगर किसी से पूछे कि दसलक्षण महापर्व कैसे मनाया जाता हैं तो वह यही उत्तर देगा कि इन दिनों लोग संयम से रहते हैं, पूजन पाठ करते हैं, व्रत नियम उपवास रखते है, स्वाध्याय और तत्व चर्चा में ही अधिकांश समय बिताते हैं, उत्तम क्षमा में दस धर्म का स्वरूप समझाया जाता है। उन्होंने बताया कि क्रोध का एक खतरनाक रूप बैर है, क्रोध से भी खतरनाक मनोविकार है, हमें क्रोध का त्याग कर क्षमा धर्म का पालन करना चाहिए। क्षमा के साथ लगा उत्तम शब्द सम्यक दर्शन की सत्ता का सूचक है। सम्यक दर्शन के साथ होने वाली क्षमा ही उत्तम क्षमा है, इसलिए हमें क्षमा धर्म को अपनाना चाहिए। क्योंकि क्षमा आने के बाद ही हम मान कसाय गलन कर सकते हैं। विष्णु बोहरा व गोलू चंवरिया ने बताया कि विज्ञातीर्थ पर श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से पूजा-अर्चना की। इस दौरान अरविंद ककोड, महेश मोटूका, शैलेंद्र संघी, मोनू पाटनी, सुंदर पाटनी, जयकुमार गिंदोडी, अशोक रेनवाल, आकाश सिंहल व अंकुर झिराना सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।

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