सार्वजनिक मंचों से विरोध के स्वरों पर लगानी होगी लगाम

AYUSH ANTIMA
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राजस्थान में भाजपा नीत सरकार जो भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में काम कर रही है, कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं, संगठन के पदाधिकारीयो व विधायकों में असंतोष का बीजारोपण हो चुका है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा हर लोकसभा क्षेत्र व विधानसभा क्षेत्र के संगठन के पदाधिकारीयों, विधायकों व सांसदों की सिलसिलेवार अलग अलग बैठक कर सामंजस्य स्थापित करने का काम कर रहे हैं। सरकार के गठन के बाद से ही यह चर्चा जोरों पर रही कि सरकार पर अफसरशाही हावी है व विधायको के काम नही हो रहे हैं। इसी न चलने की परम्परा को डीग जिले की कामा विधायक नौक्षम चौधरी के एक बयान के बाद जयपुर तक सियासी पारा चढ़ गया है। सूत्रों की मानें तो नौक्षम चौधरी ने आरोप लगाया है कि भरतपुर लोकसभा क्षेत्र तमाम विधानसभाओ में कांग्रेस के प्रधानों को हटाकर कांग्रेस समर्थित प्रधानों को बिठाया जा रहा है। इसको लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने विधायक नौक्षम चौधरी से स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा है कि अगर कुछ कमी है तो उसको दुरस्त किया जाएगा। भाजपा की यह परम्परा कभी नहीं रही कि चुने हुए प्रतिनिधियों को हटाकर अलोकतांत्रिक व्यवस्था को पनपाया जाए। विधायक नौक्षम चौधरी ने गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम पर भी तंज कसा है। भाजपा विधायक के इस बयान को लेकर कांग्रेस हमलावर हो गई। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि भरतपुर मे कांग्रेस से जुड़े प्रधानों को मनगढ़ंत आरोप लगाकर हटाया गया है। नियमों को ताक पर रखकर चुने हुए प्रतिनिधियों को हटाकर भाजपा से जुडे नेताओं की प्रधान की ताजपोशी की गई। भाजपा की विधायक नौक्षम चौधरी के विडियो को शेयर करते हुए डोटासरा ने कहा कि भाजपा सत्ता का दुरूपयोग कर लोकतंत्र की हत्या कैसे कर सकती है, इसका सबूत भाजपा के ही विधायक ने दे दिया है। भाजपा ने इसे अपनी परम्परा बना लिया तो सरकार बदलते ही निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को हटाना सामान्य बात हो जाएगी। अब यदि उपरोक्त प्रकरण का पोस्टमार्टम करे तो सरकार व संगठन में अनुशासन की कमी नजर आ रही है, जिसका उदाहरण झुन्झुनू की जिलाध्यक्ष के मनोनयन पर देखने को मिला था। जिलाध्यक्ष के मनोनयन से ही भाजपा प्रवक्ता सोशल मिडिया पर मुखर हो गये थे, जिसके कारण प्रदेश प्रवक्ता को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा था। वैसे आयातित नेताओं को पद देकर नवाजने की परम्परा से निश्चित रूप से असंतोष के स्वर उभरेंगे। गृह जिले झुनझुनू की बात करें तो नवलगढ़ व उदयपुरवाटी नगर निकाय के अध्यक्ष को हटाना व चिड़ावा पंचायत समिति प्रधान को हटाने के नाटक से आमजन अनभिज्ञ नहीं है। यदि इन विरोध के स्वरों को शांत नहीं किया तो निश्चित रूप से भाजपा की राजस्थान की सत्ता से विदाई तय है।

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