प्रतिभा सम्मान समारोह में विप्र एकता का शंखनाद

AYUSH ANTIMA
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विश्व के सबसे बड़े वैश्विक विप्र संगठन विप्र फाउंडेशन समाज की सभी न्यातो को साथ लेकर समाज हित के लिए प्रयासरत हैं। किसी भी समाज की प्रगति उस समाज की युवा पीढ़ी पर निर्भर करती है। युवा पीढ़ी को ही आधार मानकर विप्र फाउंडेशन उनको उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने में प्रयासरत हैं।‌ इस प्रतिभा सम्मेलन समारोह मे जिले भर के विप्र समाज के उन बच्चों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने बोर्ड की परीक्षा में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त कर समाज को गोरवान्वित करने का काम किया। प्रतिस्पर्धा व आरक्षण की इस दौड़ में इन प्रतिभाओं को सम्मानित करने के पीछे एक कारण यह भी था कि उन प्रतिभाओं को आभास हो कि समाज उनकी उपलब्धियों को नजर अंदाज नहीं कर रहा है। करीब 350 बच्चों का यह सम्मान समारोह जिले मे ऐतिहासिक होने के साथ ही विप्र समाज की हर न्यात को एकजुट करने की पहल भी थी। सामाजिक दृष्टि से यह आयोजन समाज की हर न्यात को एक जाजम पर लाने में सफल हुआ है। किसी भी समाज की प्रगति के लिए सामाजिक व राजनीतिक रूप से एकसूत्र में बंधने के साथ ही सुदृढ़ होना भी जरुरी है। यदि राजनीतिक परिपेक्ष्य में देखें तो विप्र समाज जिले में एक तरह से हासिए पर ही है। इस ऐतिहासिक आयोजन को राजनीतिक परिदृश्य से देखें तो जिले के हर कोने से विप्रो ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई, जो आने वाले समय में शुभ संकेत हो सकते हैं। राजनीतिक रूप में देखे तो सत्ता व संगठन में विप्र समाज की भागीदारी नगण्य ही है। अभी हाल ही में संगठन में भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर विप्र समाज की प्रबल दावेदारी थी। इसमें बहुत से विप्र समाज के नेताओ को संगठन में कार्य करने का पर्याप्त अनुभव था और वह जिलाध्यक्ष की दौड़ में भी थे। सूत्रों की मानें तो जिस तरह से मुख्यमंत्री का चयन भाजपा आलाकमान के निर्देश पर हुआ, ठीक उसी परिपाटी का अनुसरण भाजपा जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर भी हुआ। भाजपा ने जो पैरामीटर जिलाध्यक्ष के लिए निर्धारित कर रखे थे, उनको भी दरकिनार कर जिलाध्यक्ष की नियुक्ति की गई और जो विप्र समाज के नेता उन पैरामीटर को पूरा करते थे और उसकी दौड़ में थे, वह मुंह ताकते रह गये और संगठन में भी भागीदारी न मिलने को लेकर कहीं न कहीं विप्र समाज ठगा सा महसूस कर रहा है। जिस तरह से सम्मान समारोह की ऐतिहासिक सफलता में जिले के सम्पूर्ण विप्र समाज का योगदान रहा है व इस विप्र एकता की गूंज निश्चित रूप से जयपुर तक सुनाई देगी, जो भजन लाल शर्मा सरकार को सोचने के लिए भी मजबूर होना पड़ेगा कि आखिर विप्र कल्याण बोर्ड का गठन अभी तक क्यों नहीं किया गया। विदित हो अशोक गहलोत सरकार ने विप्र कल्याण बोर्ड का गठन कर विप्र समाज के उत्थान के लिए करोड़ों रूपये का बजट का प्रावधान भी किया था लेकिन भजन लाल शर्मा सरकार ने करीब करीब सभी जातियों के कल्याण बोर्ड का पुनर्गठन कर दिया लेकिन अभी तक विप्र कल्याण बोर्ड का पुनर्गठन नहीं हुआ है। इस सामाजिक आयोजन की आहट पूरे राजस्थान में भी अवश्य जायेगी, विप्र कल्याण बोर्ड के गठन को लेकर सरकार को सोचने के लिए बाध्य करेगी।

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