राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को सीकर और फतेहपुर से मिली आयुर्वेद से जुड़ी पांडुलिपि*

AYUSH ANTIMA
By -
0

जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के आयुर्वेद पाण्डुलिपि विज्ञान विभाग को सीकर जिले के दो प्रतिष्ठित पुस्तकालयों महावीर पुस्तकालय, सीकर एवं श्री सरस्वती पुस्तकालय, फतेहपुर—द्वारा दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ एवं ग्रंथ अध्ययन एवं संरक्षण हेतु प्रदान किए गए हैं। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलपति प्रो.संजीव शर्मा ने दोनों पुस्तकालयों के पदाधिकारियों एवं सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए इस पहल को आयुर्वेदिक ज्ञान-संपदा के संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम बताया। संस्थान को विश्वास है कि इस प्रकार के संयुक्त प्रयास पारंपरिक भारतीय चिकित्सा साहित्य के संरक्षण और पुनरुद्धार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। विभागाध्यक्ष प्रो.असित कुमार पाञ्जा के अनुसार सभी प्राप्त सामग्री का उपयोग केवल शैक्षणिक शोध एवं संरक्षण कार्यों में किया जाएगा। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप संरक्षण प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सभी प्रतियाँ संबंधित पुस्तकालयों को संरक्षित रूप में लौटा दी जाएंगी। यह पांडुलिपि डॉ.विनोद कुमार जैन, अध्यक्ष, माधव सेवा समिति एवं सरस्वती पुस्तकालय प्रशासन के सहयोग से संस्थान को मिली है। महावीर पुस्तकालय से प्राप्त पाण्डुलिपियों में ‘रावण महातन्त्र’ (सिद्ध नागार्जुन), ‘दिनचर्या’, ‘ज्वर रूप’, ‘सामुद्रिक शास्त्र’ और ‘न्याय सिद्धान्त’ प्रमुख हैं। वहीं, श्री सरस्वती पुस्तकालय से ‘वैद्यक औषध (गुटका)’, ‘वैद्यक संजीवनम्’, ‘योग सूत्र वृत्ति मणि प्रभा टीका’ सहित ‘त्रिदोष विमर्श’, ‘रसायन सार’, ‘भेल संहिता’ एवं ‘हारित संहिता’ जैसे मूल्यवान ग्रंथ प्राप्त हुए हैं।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!