अलवर में हुई कावड़ियों की मौत के लिए आखिर जवाबदेही किसकी: क्या बिजली विभाग के दोषी अधिकारियो और कर्मचारियों का निलंबन ही काफी या बर्खास्तगी सही सजा, बड़ा सवाल

AYUSH ANTIMA
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अलवर (मनीष अरोड़ा): सावन का महीना जहां हर तरफ भक्ति और खुशियों की बहार लिए हुए है। वहीं इस बार सावन की शिवरात्रि अचानक उन लोगों के लिए मातम का सबब बन गई, जो अलवर के लक्ष्मणगढ़ के बिचगांव में कावड़ लेकर भोलेनाथ के चरणों में अर्पित करने पहुंचते हुए मौत के मुंह में चले गए, वहीं 30 से अधिक लोग झुलस कर अस्पतालों में भर्ती है। कुछ लोगों की खुशियां अचानक उस वक्त मातम में बदल गई, जब बिजली महकमें की लापरवाही के चलते बिना कसे नीचे झूलते 11 KV तार छू जाने से 2 कावंड़ियों की मौके पर ही मौत हो गई और 30 से अधिक घायल हो गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए अलवर से विधायक और राजस्थान सरकार में मंत्री संजय शर्मा जयपुर से तुरंत अलवर पहुंचे और घायलों की कुशल क्षेम जानी। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने विद्युत विभाग के कनिष्ठ अभियंता और हेल्पर को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके साथ ही मृत्यु पर 10-10 लाख की मुआवजा राशि राज्य सरकार के द्वारा देने की घोषणा की गई लेकिन ग्रामीण इससे नाखुश है और भूख हड़ताल पर बैठ गए। मंत्री संजय शर्मा का यह कदम निश्चय ही संवेदना से परिपूर्ण है, वहीं फिलहाल तुरत-फुरत विद्युत विभाग के कनिष्ठ अभियंता और हेल्पर को निलंबित भी करवाना भी जरूरी था। सरकार की तुरंत कार्रवाई निश्चय ही सराहनीय है लेकिन क्या बिजली विभाग के अधिकारी और कर्मचारी का निलंबन ही इस बड़े हादसे के लिए काफी है...क्योंकि लापरवाही बहुत बड़ी है तो सजा भी बड़ी ही होनी चाहिए। उससे बड़ी ताज्जुब की बात यह है कि संबंधित बिजली विभाग के अधिकारी यह कहते नजर आए कि बिना कसी नीचे झूलती हुई यह मौत बांटती बिजली की लाइन उनके संज्ञान में ही नहीं थी। देखा जाए तो यह कार्यवाही केवल कनिष्ठ अभियंता और हैल्पर पर ही नहीं बल्कि सहायक अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता तक होनी चाहिए क्योंकि जिस घर के दो लाल प्रभु चरणों में लीन हो गए, यह कोई उन्हीं से जाकर पूछे कि वह इस दुर्घटना को क्या वे जीवन भर भूल पाएंगे। वहीं दूसरी और क्षेत्र के आमजन का कहना है कि इस मौत की झूलती लाइन के बारे में विद्युत विभाग को पहले कई बार चेताया गया था लेकिन बिजली विभाग तो बिजली विभाग है, अगर जनता को टाले नहीं तो काम कैसे चले। सावन के महीने में भोलेनाथ के भक्तों का यूं चले जाना निश्चय ही दुःखदायी है और अब सरकार को चाहिए की विद्युत विभाग के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को केवल निलंबित नहीं बल्कि बर्खास्त करना ही इस लापरवाही की उचित सजा होगी। इसके साथ ही इस लापरवाही के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की बर्खास्तगी विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक नजीर बनेगी। यहां बता दे कि थोड़ी देर के लिए भीड़ के गुस्से को शांत करने के लिए निलंबन दिखावा मात्र है। बात इतनी छोटी नहीं है बल्कि बात बहुत बड़ी है क्योंकि विद्युत विभाग की लापरवाही से जाने तो गई ही है, वहीं घायल भी इतने ज्यादा झुलस गए कि उन्हें अलवर रैफर करना पड़ा। बहरहाल, अब विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की बर्खास्तगी ही एक मात्र उचित सजा है वर्ना निलंबन तो मात्र दिखावा है।
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