राजस्थान की भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार ने बहुचर्चित एसआई भर्ती परीक्षा में हुए कथित भ्रष्टाचार को लेकर विधानसभा चुनावों मे इस प्रतियोगी परीक्षा को रद्द करने का वादा किया था लेकिन सत्ता में आते ही यू टर्न लेकर माननीय हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर अपने मंसूबे स्पष्ट कर दिए कि यह प्रतियोगी परीक्षा रद्द नहीं होगी। सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि सब कमेटी ने इस प्रतियोगी परीक्षा को रद्द नहीं करने की सिफारिश की है। सरकार ने कहा कि अभी तक एसआईटी की जांच चल रही है, इसलिए पूरी चयन प्रक्रिया को संदेह में डालना उचित नहीं होगा। सरकार के शपथ पत्र के बाद माननीय हाईकोर्ट ने आगामी सात जुलाई की तारीख निश्चित की है। विदित हो इस प्रतियोगी परीक्षा को लेकर भाजपा नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन अब सत्ता प्राप्त करते ही इन नेताओं ने अपना स्टेंड बदल लिया है। सरकार का कहना है कि बेईमानी करने वाले अभ्यर्थियों को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। सरकार का मानना है कि 6 प्रतिशत बेईमानी करने वाले अभ्यर्थियों की एवज में 94 प्रतिशत अभ्यर्थियों को सजा नहीं दी जा सकती है। अब सरकार के इस तर्क मे कितना दम है और वह कौन सी संस्था है व कौन से पैरामीटर है, जिसकी वजह से पहचान की गई कि 6 प्रतिशत ही बेईमानी करने वाले थे का जबाब सरकार ही दे सकती है। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर निशाना साधा है कि सरकार व मंत्रीयो में समन्वय का अभाव है। जब सरकार के एक कैबिनेट मंत्री डाक्टर मीणा इस प्रतियोगी परीक्षा को रद्द करने की मांग सार्वजनिक मंचों से कर चुके हैं तो उनकी बात भी सरकार अनसुनी कर रही है। पेपर लीक को लेकर विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपना हथियार बनाया था कि गहलोत सरकार ने बेरोजगार युवाओं के सपनों को ध्वस्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन ऐसे मामलों में आज तक जो गिरफ्तारी हुई है, वह छोटी मछलियों की श्रेणी में आते हैं। गोविंद सिंह डोटासरा विधानसभा में सरकार को चुनौती देते नजर आते हैं कि यदि भ्रष्टाचार हुआ है तो सरकार गिरफ्तार करके दिखाए। विदित हो तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में एक कोचिंग संस्थान नाथी का बाड़ा बहुत चर्चा में रहा था। नाथी के बाड़े में कोचिंग लेने वाले अभ्यर्थियों का चयन प्रतिशत 100 प्रतिशत रहा था लेकिन आज तक बड़े मगरमच्छ कानून की पकड़ से दूर है। भाजपा भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की बात करती है व यह दावा करती है कि बेरोजगारो के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना ही बड़ा रसूखदार हो। निश्चित रूप से एसआई प्रतियोगी परीक्षा को लेकर सरकार का यू टर्न करना कही न कही उसकी मंशा पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
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