बाड़ ही खेत को खा रही है

AYUSH ANTIMA
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राजस्थान सरकार का एक आदेश उक्त कहावत को चरितार्थ करता नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो राजस्थान सरकार ने गौचर भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन को अधिकृत किया है लेकिन शायद सरकार जान बूझकर इस बात से अनभिज्ञता दिखा रही है कि स्थानीय प्रशासन की आड़ बिना किसी भी भूमि पर अतिक्रमण संभव नहीं हो पाता है। यदि झुंझुनूं जिले की बात करें तो जिले में रोजाना किसी न किसी भाग से गौचर भूमि व मंदिर माफी की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाने को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन देने के मामले देखने को मिलते हैं लेकिन यह ज्ञापन रद्दी की टोकरी की शोभा बढ़ाने के सिवाय शायद ही कोई प्रशासन ने कारवाई की हो। मोदी सरकार सनातन को लेकर बड़े बड़े दावे करती है लेकिन सनातन धर्म की रीढ़ गौवंश को लेकर उसकी संवेदनशीलता जगजाहिर है। गौवंश बिना आसियाना बाजारों में लठ्ठ खाते घूमते नजर आते है। देखा जाए तो प्रत्येक जिलों में गौचर भूमि अतिक्रमण की जद में आने से इसका सीधा असर गौ संवर्धन पर पड़ रहा है। गौचर भूमि न मिलने से बेसहारा गौवंश ने शहर के बाजारों की तरफ रूख कर लिया। यदि राजस्व विभाग के आंकड़े पर नजर डालें तो झुंझुनूं जिले में करीब 39267 हेक्टेयर स्थायी गौचर भूमि है। इसके अतिरिक्त 51192 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य बंजर भूमि है, जिस पर गोवंश के लिए खाने को घास मिल सकता है। प्रशासनिक अधिकारियों के समय समय पर निगरानी न रखने के अभाव में एक बार गोचर भूमि को मुक्त करवाने के बावजूद दुबारा उस पर अतिक्रमण हो जाता है। राजनीतिक प्रभाव के चलते भी इन अतिक्रमण करने वालों के हौसले बुलंद हैं। कई जगह तो यह भी देखा गया है कि गौचर भूमि पर अतिक्रमण करने वाले खेती भी कर रहे हैं। गोचर भूमि पर अवैध अतिक्रमण के चलते गौवंश सड़कों पर घूमते नजर आते हैं, जिनकी चपेट में आने से बहुत से लोग अपाहिज होने के साथ ही अपनी जान भी गंवा चुके हैं। इसमें संदेह नहीं कि राजस्थान सरकार का गौचर भूमि से अतिक्रमण हटाने वाले आदेश को लेकर प्रशंसा करनी चाहिए लेकिन इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि स्थानीय प्रशासन इस आदेश को रद्दी की टोकरी के हवाले न कर दे। सरकार को इस बात पर भी ट्रेक रखने के साथ ही जिला प्रशासन से रिपोर्ट लेनी चाहिए कि कितनी भूमि अतिक्रमण से मुक्त करवाई गई है। यह देखा गया है कि स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत व राजनीतिक रसूख के चलते ही अतिक्रमण होते हैं क्योंकि जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उस खेत की रक्षा ईश्वर भी नहीं कर सकता और गौचर भूमि को लेकर यही हो रहा है।

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