पिलानी विधानसभा में भाजपा नेताओ की गुटबाजी से विकास की गंगा कीचड़ से सनी

AYUSH ANTIMA
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राजस्थान की भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में बनी डबल इंजन सरकार विकास के आयाम स्थापित कर रही है। जन कल्याणकारी योजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री संवेदनशीलता का परिचय दे रहे हैं। यदि पिलानी विधानसभा की बात करें तो स्थानीय नेता ने पिलानी में विकास की गंगा बहा दी है लेकिन आज भाजपा की ही पिलानी पंचायत समिति प्रधान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उस विकास की गंगा की पोल खोल दी है। पिलानी पंचायत समिति की भाजपा प्रधान ने भाजपा नेता पर आरोप लगाए हैं कि उनको हर काम में कमीशन चाहिए। जो सदस्य जनहित के कामों को लेकर प्रधान के साथ खड़े हैं, उनको धमकी दी जा रही है कि आगामी चुनावों में भाजपा का टिकट नहीं देने दूंगा। इसके साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेंबरों ने आरोप लगाए कि उनके कामों को रोका जा रहा है व पैसे की डिमांड की जाती है। विदित हो पिलानी पंचायत समिति पर प्रधान भाजपा समर्थित है लेकिन उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना भी कहीं न कहीं संदेह के घेरे में है हालांकि वह अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था और उसका समर्थन करने वाले भाजपा धड़े को मुंह की खानी पड़ी थी। अब उपरोक्त प्रकरण का पोस्टमार्टम करे तो भाजपा में गुटबाजी चरम पर पहुंच चुकी है। वैसे तो झुन्झुनू जिले में तो यहां तक एक मुहावरा चल पड़ा था कि जब तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन होता था तो आम चर्चा होती थी कि यह आंदोलन कौन सी भाजपा कर रही है। स्थानीय नेता सरकारी महकमों में अधिकारियों के तबादलों को ही विकास का मापदंड मान लिया है। जब कोई बजट घोषणा के अनुसार उस जनहित के कामों की वितीय स्वीकृति जारी होती है तो उसको ऐसे लपक लेते हैं फिर सोशल मिडिया पर महिमा मंडन शुरू होता है कि आज तक के इतिहास में पिलानी विधानसभा में इतने विकास के काम नही हुए। इस प्रकरण को दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो गुटबाजी की कैंसर रूपी बीमारी लाइलाज हो गई है। प्रधान का पद संवैधानिक पद होता है यह किसी नेता की मेहरबानी से नहीं मिलता। जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही इसका चुनाव करते हैं। पिलानी पंचायत समिति की प्रधान जब एक स्थानीय नेता पर आरोप लगा रही है, जिसका भारतीय प्रजातांत्रिक व्यवस्था में कोई महत्व नही, कही न कही जयपुर दरबार में सरकार व संगठन के नेताओं की मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह लगने लाजिमी है। जब भाजपा प्रवक्ता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है तो इस प्रकरण को भी भाजपा शीर्ष नेतृत्व को गंभीरता से लेना होगा अन्यथा आने वाले चुनावों में विपरीत परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इस प्रकरण को लेकर पत्रकारिता भी संदेह के घेरे में है। सूत्रों की मानें तो एक यूट्यूब चैनल ने खबर पोस्ट करने के बाद उसे डिलीट करने के समाचार सुनने को मिले हैं। इस प्रकरण मे एक पक्ष और उभर कर सामने आया कि दूसरे भाजपा गुट ने प्रधान व बीडीओ पर नियमों को ताक पर रखकर 1.80 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी। सूत्रों की मानें तो बीडीओ ने विकास कार्यों की अनिवार्यता व जनहित के मध्यनजर स्वीकृति जारी की थी। आरोप प्रत्यारोप के दौर जारी है कि भाजपा प्रत्याशी ने अपने एक बयान में कहा कि यदि प्रधान के पास कमीशन लेने के प्रमाण है तो उन्हें उजागर करे अन्यथा इसको लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगे। इस गुटबाजी के नाटक में ओबीसी बोर्ड के सदस्य पवन मावंडिया का नाम भी घसीटा जा रहा है। वैसे दोनो गुटों में मचे इस सियासी ड्रामे ने पिलानी विधानसभा के विकास को कोसों दूर छोड़ दिया है। दोनो तरफ से गंभीर आरोप प्रत्यारोप का जो दौर चल रहा है, यह जांच का विषय है। इसको लेकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि भाजपा नेताओं की आपसी खींचतान जो सड़को पर आ गई, इसके दूरगामी परिणाम होगे लेकिन आज के इस प्रकरण से यही कहा जा सकता है कि जो नेता पिलानी विधानसभा में विकास की गंगा बहाने की बात कर रहे थे, उसमें कीचड़ दिखाई देता है।

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