जयपुर: जयपुर संगीत महाविद्यालय एक अत्यंत प्रेरणादायक एवं ऐतिहासिक उपलब्धि का साक्षी बना। जब 78 वर्षीय आचार्य सत्यनारायण पाटोदिया ने अपने 18 वर्षीय पौत्र खुमान पाटोदिया के साथ संगीत की परीक्षाएं दीं और दोनों ने प्रथम श्रेणी में सफलता प्राप्त की। जहाँ युवा खुमान पाटोदिया ने शास्त्रीय गायन में निपुण पार्ट 2 परीक्षा को प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया, वहीं उनके दादाजी आचार्य सत्यनारायण पाटोदिया ने संगीत की तीन प्रमुख विधाओं में एक साथ परीक्षा देकर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर कीर्तिमान रचा। उन्होंने शास्त्रीय गायन विशारद फ़ाइनल में प्रथम श्रेणी, कथक नृत्य विशारद फ़ाइनल प्रथम श्रेणी एवं विशिष्ट योग्यता, तबला वादन प्रथमा पार्ट 1 में प्रथम श्रेणी प्राप्त की। जयपुर संगीत महाविद्यालय सचिव श्रीराम शर्मा ने कहा कि 78 वर्ष की आयु में एक ही वर्ष में एक साथ इन तीनों कलाओं में सफलता प्राप्त करना न केवल दुर्लभ, बल्कि यह विश्व स्तर पर एक उल्लेखनीय कीर्तिमान है।
शर्मा ने कहा कि आचार्य सत्यनारायण एवं खुमान की यह उपलब्धि संगीत प्रेमियों और नई पीढ़ी के लिए एक संदेश है कि समर्पण, साधना और प्रयास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। यह उपलब्धियां गुरु-शिष्य परंपरा, पारिवारिक सहयोग और भारतीय संगीत संस्कृति की अमिट मिसाल है। महाविद्यालय द्वारा दोनों को विशेष सम्मान प्रदान किया गया और इस प्रेरक यात्रा को जन-जन तक पहुँचाने के लिए विशेष अभियान चलाने की घोषणा की।