राजस्थान में गौशाला घोटाला: मुस्लिम संचालकों ने 20 करोड़ का सरकारी अनुदान हड़पा, सरकार ने शुरू की कार्रवाई

AYUSH ANTIMA
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जैसलमेर/जयपुर (रविन्द्र आर्य): राजस्थान के जैसलमेर जिले की ABC- क्लास की 28 गौशाला में एक बड़े सरकारी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इस घोटाले में अनुमानतः 20 करोड़ रुपये का सरकारी अनुदान फर्जीवाड़े के ज़रिए गबन किया गया है। गौशाला का संचालन करने वाले सभी व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं, जिससे मामला और भी संवेदनशील हो गया है।

*फर्जी आंकड़े, गायें ग़ायब लेकिन अनुदान पूरा*

राज्य सरकार द्वारा की गई डिजिटल जांच में पाया गया कि जिस गौशाला में 200 गायों का होना अनिवार्य था, वहाँ सिर्फ 18 से 20 गायें ही मौजूद थीं। यह अंतर केवल प्रशासनिक लापरवाही का संकेत नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध घोटाले का स्पष्ट प्रमाण है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद गौशाला को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। गौपालन विभाग ने सभी संबंधित संचालकों को नोटिस जारी कर दिया है और औचक निरीक्षण तेज कर दिए गए हैं।

*कांग्रेस सरकार के संरक्षण में वर्षों से चल रहा था खेल*

यह घोटाला वर्षों से चला आ रहा था, जिसमें फर्जी टैगिंग, दस्तावेज़ों में हेराफेरी और मरी हुई या अनुपस्थित गायों के नाम पर अनुदान लेने जैसे कई कृत्य सामने आए हैं। गौपालन मंत्री जोरा राम कुमावत ने इस मामले में बयान जारी कर कहा:
"अब तक कई गौशालाएं फर्जी टैग लगाकर सरकार को गुमराह कर रही थीं। हमने डिजिटल टैगिंग व्यवस्था लागू कर दी है। जो भी दोषी हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।" गौशाला के संचालकों ने मामले पर अदालत से स्टे भी प्राप्त कर लिया है, ताकि जांच को रोका जा सके, लेकिन सरकार अब डिजिटल निगरानी के ज़रिए आगे की कार्रवाई कर रही है।

*जयपुर तक पहुंचा घोटाले का जाल*

जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, घोटाले की परछाईं जयपुर तक फैल गई। जांच में पाया गया कि हिंगोनिया गौशाला, पिंजरा पोल गौशाला और अन्य कई प्रमुख संस्थानों में भी डुप्लीकेट टैग और फर्जीवाड़े के संकेत मिले हैं।

* जयपुर में कई गायों को एक ही टैग से बार-बार रजिस्टर किया गया।

* सरकारी अनुदान के लिए जानवरों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई।

* कई गायें या तो थीं ही नहीं, या पहले ही मर चुकी थीं।

सरकार ने अब इस घोटाले से जुड़ी हर गौशाला की डिजिटल टैगिंग शुरू कर दी है ताकि भविष्य में इस प्रकार का फर्जीवाड़ा रोका जा सके।


*मुद्दा सिर्फ घोटाले का नहीं, आस्था और संस्कृति का भी है*

यह घोटाला केवल आर्थिक धोखाधड़ी नहीं है — यह गौरक्षा, हिंदू आस्था और गौ-संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता पर सीधा प्रहार है। जिस गौमाता को सनातन संस्कृति में पूजनीय माना जाता है, उसके नाम पर किए गए इस कुकृत्य ने समाज में आक्रोश पैदा कर दिया है।
मुस्लिम संचालकों द्वारा गौशालाओं के संचालन और सरकारी सहायता के नाम पर चल रहे छद्म कारोबार को लेकर लोगों में अविश्वास की भावना और भी गहरी हो गई है।

*प्रशासन और समाज की भूमिका*

वर्तमान में सरकार ने संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। औचक निरीक्षण, डिजिटल टैगिंग और नवीन पंजीकरण प्रणाली को अनिवार्य किया गया है। जयपुर, जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर में विशेष निगरानी शुरू हो गई है। सत्ताघारी पार्टी ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया है कि यह घोटाला सरकार की मूक सहमति और धार्मिक तुष्टीकरण की नीति का परिणाम है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले पर सीबीआई जांच की मांग की है।
गौ संरक्षण केवल एक प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना और धार्मिक आस्था का केन्द्र है। इस प्रकार का सुनियोजित घोटाला न केवल जनता के धन की चोरी है, बल्कि सांस्कृतिक अपमान भी है। अब देखना यह है कि सरकार दोषियों को दंडित कर पाती है या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह राजनीतिक बहसों में दबा दिया जाएगा।

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