जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): जयपुर मेट्रो प्रथम की फैमिली कोर्ट-5 ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति-पत्नी के बीच तलाक हो गया है तो भी पिता अपनी नाबालिग बेटी को उसके बालिग होने तक भरण पोषण राशि देने के लिए जवाबदेह हैं। पिता को निर्देश दिया कि वह 7 साल की बेटी को प्रार्थना पत्र दायर होने की तारीख 20 जुलाई 2022 से हर महीने भरण पोषण के तौर पर ₹11000 दे। कोर्ट ने कहा कि अप्रार्थी पिता अपनी बेटी के खर्चे की राशि उसकी संरक्षिका माता के बैंक खाते में हर महीने की 10 तारीख तक जमा करवाएं। कोर्ट ने यह आदेश माता के जरिए दायर बेटी के प्रार्थना पत्र पर दिया। अधिवक्ता सुनील शर्मा व गौरव सिंघल ने बताया कि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि खाना, मेडिकल, बच्चों की शिक्षा व कोचिंग को ध्यान में रखते हुए भरण पोषण राशि तय की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा की दोनों पक्षों के बीच यह अविवादित तथ्य है की बेटी अपनी स्वेच्छा से किसी के भी साथ रह सकती है। माता की अभिरक्षा में रहने के दौरान वह बेटी को उनकी अभिरक्षा में लेने पर मना नहीं करेंगे लेकिन इसके बावजूद भी अप्रार्थी पिता अपनी नाबालिग बेटी को ले जाने के लिए तैयार नहीं है। हालांकि अप्रार्थी बेटी की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है लेकिन याचिका को खारिज करने के लिए कह रहा है। ऐसे में यह नहीं मान सकते कि वह अपनी नाबालिग बेटी की जिम्मेदारी उठाना चाहता है।
*यह है मामला*
प्रार्थिया की शादी अप्रार्थी सरकारी शिक्षक के साथ 28 अप्रैल 2017 को हुई थी। इस दौरान उनके 16 मई 2018 को बेटी हुई थी लेकिन दोनों के बीच पारिवारिक विवादों के चलते 6 अक्टूबर 2019 को उनका आपसी समझौते से तलाक हो गया। अप्रार्थी पिता ने एकमुश्त राशि के तौर पर 15.11 लाख रुपए की राशि भरण पोषण के लिए दी।