दिल्ली/बीकानेर (श्रीराम इंदौरिया): राष्ट्रीय परिषद की बैठक 28 और 29 जून 2025 को दिल्ली में मंच के संस्थापक तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ.इंद्रेश कुमार के मार्गदर्शन में आयोजित की गई। इस बैठक में राजस्थान से जयपुर के राजेंद्र कामदार, राष्ट्रीय महामंत्री सुधा आचार्य (बीकानेर), राष्ट्रीय सह संयोजक, प्रकृति संरक्षण प्रकोष्ठ ने सक्रिय रूप से दायित्व का निर्वहन किया। इस बैठक में कैलाश मानसरोवर की मुक्ति-तिब्बत की स्वतंत्रता और चीनी वस्तुओं के बहिष्कार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक चर्चा करते हुए संगठनात्मक विस्तार और राष्ट्रव्यापी जन जागरण हेतु भावी रणनीति तय करने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक के प्रारंभ में सुधा आचार्य द्वारा शंखनाद किया गया। राष्ट्रीय परिषद की इस बैठक में डॉ.इंद्रेश कुमार ने विभिन्न विषयों पर सारगर्भित उद्बोधन देते हुए समस्त कार्यकर्ताओं में नव ऊर्जा का संचार किया। डॉ.इंद्रेश कुमार ने कहा कि तिब्बत की आजादी, भारत की सुरक्षा हमारा मुख्य उद्देश्य है और इसी पथ पर चलते हुए हमें कार्य करते रहना है क्योंकि हमें देवों के देव महादेव के पवित्रतम स्थल कैलाश मानसरोवर को चीन के आधिपत्य से मुक्त करवाना है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर हमें चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करना अत्यावशक है। बैठक में नवगठित कार्यकारिणी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री पंकज गोयल ने परिषद के सभी नव दायित्ववान पदाधिकारियों को बधाई देते हुएअपने उद्बोधन में कहा कि "व्यक्ति आएंगे और जाएंगे परंतु संगठन आगे बढ़ते रहना चाहिए क्योंकि हम व्यक्ति पूजित कार्यकर्ता नहीं है अपितु एक विचार, एक मिशन और संगठन से जुड़े कार्यकर्ता है"। इसी बैठक में राजस्थान के सीआर चौधरी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजेंद्र कामदार को राष्ट्रीय महामंत्री पद का दायित्व देने के साथ ही अनेक कार्यकर्ताओं को नवीन दायित्व दिए गए। राष्ट्रीय परिषद की इस बैठक में भारत तिब्बत सहयोग मंच द्वारा पूर्व में किए गए कार्यों की समीक्षा भी की गई, जिसमें राष्ट्रीय पदाधिकारी सुधा आचार्य द्वारा भारत तिब्बत सीमा पर स्थित बुमला नामक स्थान पर बीकानेर के निकटवर्ती कोडमदेसर सरोवर का जल और प्रसिद्ध कोडमदेसर भैरवनाथ के मंदिर की पवित्र रज (मिट्टी) ले जाकर बुमला में "चीन पछाड़ भैरव" की स्थापना की गई, जिसमें मंच के बीकानेर जिले की जिला अध्यक्ष दिलीप पुरी और उनकी टोली का पूर्ण सहयोग रहा। इस बात की सभी ने भूरी भूरी प्रशंसा की और भैरवनाथ जी का जयकारा भी लगाया। ध्यातव्य है कि गत 22 नवंबर 2024 को तवांग तीर्थ यात्रा के समय भारत तिब्बत सीमा पर स्थित बुमला में सुधा आचार्य द्वारा पंकज गोयल, मंच के तत्कालीन राष्ट्रीय महामंत्री द्वारा पूजा करवाते हुए "चीन पछाड़ भैरव" की स्थापना की गई थी और तभी से वहां नियुक्त सैन्य पदाधिकारियों द्वारा सतत् भैरव अर्चना की जा रही है, ऐसी जानकारी भी प्राप्त हुई है। इसके साथ ही प्रकृति संरक्षण प्रकोष्ठ के अधीनस्थ सुधा आचार्य द्वारा भारत राष्ट्र के राजस्थान प्रदेश के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों तक लगाए जा रहे चिड़िया महलों को भी उपस्थित सभी भगिनी बंधुओ ने सराहा। इस बैठक में संपूर्ण भारत के विभिन्न प्रांतो से मंच के राष्ट्रीय और प्रांतीय पदाधिकारी ने भाग लिया। इसी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मंच द्वारा प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में परिलक्षित बौद्ध सनातन समरसता विषय पर आधारित "बौद्ध महाकुंभ यात्रा" पुस्तक का विमोचन भी प्रबुद्ध गणमान्य जनों के कर कमलों द्वारा किया गया। बैठक में संत दीपांकर जी, संत दिव्यानंद जी, बौद्ध संत आचार्य यशी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रूपेश कुमार, पांचजन्य के संपादक अनिल गोस्वामी, गिरिराज किशोर पोद्दार, 17वीं निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य वांगडू दोरजी, अरुणाचल प्रदेश सरकार के पूर्व सांसद एवं मंत्री खीरमें जी, बोधवंते जी, शांति ज्ञान निकेतन विद्यालय नजफगढ़ के मैनेजिंग डायरेक्टर राजकुमार खुराना, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं किसान आयोग के चेयरमैन सीआर चौधरी सहित अनेक गणमान्य बंधुओं का सानिध्य प्राप्त हुआ।
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