जयपुर: सांगानेर के राधा बल्लभ मार्ग स्थित जगन्नाथ मंदिर से शोभा यात्रा निकालने के साथ ही जगन्नाथ महोत्सव का आगाज हुआ। शोभा यात्रा निज मंदिर से रवाना होकर राधावल्लभ मार्ग, जैन मंदिर, सिटी बस स्टैंड, मुख्य बाजार, हलवाई बाजार, अनाज मंडी, नगर निगम रोड होते हुए सिंघी सागर बगीची पहुंची। मंदिर के पुजारी सुनील लाटा, अमन लाटा और शुभम लाटा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर 500 साल पुराना है, 02 जुलाई को भगवान जगन्नाथ और माता लक्ष्मी के हल्दी की रस्म हल्दी होगी। 4 को विवाह होगा और पांच को मालपुरा गेट पर काले ठाकुर का मेला आयोजित किया जाएगा। रथ यात्रा के दौरान समाजसेवी मुरलीधर शर्मा, कृष्ण गोपाल सैनी, तरुण शर्मा, कृष्ण कोठीवाल, रवि कायल एवं बाजार के अनेक भक्तगण मौजूद रहे। सांगानेर में यह यात्रा जगन्नाथपुरी की तर्ज पर निकाली जाती है। जहां जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा के साथ भडल्या नवमी मंगलवार तक विराजमान रहेंगे। इसी दिन भड़ल्या नवमी को ठाकुर जी के माता लक्ष्मी जी के साथ फेरे संपन्न करवाकर विवाह महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। शाम छह से नौ बजे तक भजन संध्या आयोजित की जाएगी। अगले दिन 28 जून को रथयात्रा सिंघी सागर बगीची से रवाना होकर मालपुरा गेट के अंदर पहुंचेगी, जहां ठाकुर जगन्नाथ जी (काल्या ठाकर) के विवाह महोत्सव के उपलक्ष्य में गुदरी मेला आयोजित होगा, जिसमें वर्षों से चले आ रही पारंपरिक नृत्य गायन का आयोजन होगा। तीन साल बाद पुन: इस बार शाम छह बजे निज मंदिर से आरती के साथ ही अन्य कार्यक्रम होंगे। रथयात्रा सांगा सर्किल पर आरती उतारी जाएगी। इसके बाद मुख्य बाजार में पुष्प वर्षा कर 1100 दीपकों से आरती होगी। समाजसेवी मुरलीधर शर्मा ने बताया कि बीते 100 साल से यात्रा निकाली जा रही है। यह मंदिर 500 साल पुराना मंदिर है। भगवान जगन्नाथ के अलावा बहन सुभद्रा, बलराम विराजमान हैं। विग्रह पुरी से चंदन की लकड़ी के बने हैं। जयपुर के नगर सेठ ने मंदिर का निर्माण करवाया। जगन्नाथपुरी की तरह नौ दिन बाद भगवान की शादी होगी।
*जगन्नाथ रथ यात्रा मार्ग को सोने की झाडू से बुहारते थे सांगा बाबा*
स्थानीय निवासियों का कहना है कि भगवान जगन्नाथजी का प्राचीन मंदिर सांगानेर में है। यहां के राजा सांगा बाबा जगन्नाथ जी की रथ यात्रा के आगे सोने की झाडू से अगवानी करते थे। सवाई जयसिंह द्वितीय के समय में उड़ीसा में जगन्नाथ यात्रा के लिए धन राशि भेजी जाती थी।
इतिहास के जानकार देवेंद्र भगत के मुताबिक उन दिनों हिन्दू विरोधी आक्रान्ता रथ यात्रा पर हमला कर देते थे। स्वामी गोबिंदा नंद के नेतृत्व में बालानंद मठ के नागा सैनिकों की बटालियन तैनात रहती। पुरी का प्रसाद भी जयपुर आता, जिसे भक्तों को बांटा जाता। पुरानी बस्ती के बालानंद मठ से भी रथ यात्रा निकलती थी।