पैराशूट झुंझुनूं भाजपा जिलाध्यक्ष

AYUSH ANTIMA
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राजस्थान में भाजपा संगठन पर्व चल रहा है। इसी के अन्तर्गत झुंझुनूं भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर जिला प्रमुख हर्षिनी कुल्हरी के नाम पर प्रदेश भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने मुहर लगाई है। मुहर लगते ही झुंझुनूं भाजपा में विरोध के स्वर देखने को मिल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने सार्वजनिक तौर पर इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है। उनके अनुसार जो मापदंड जिला अध्यक्ष के थे, उनको दरकिनार किया गया है। मसलन मापदंडो में जिलाध्यक्ष की उम्र 45 साल से कम नहीं होना, संगठन का अनुभव होना व भाजपा के सिध्दांतों के अनुसार एक व्यक्ति एक पद होना लेकिन उनके बयान से सबसे गंभीर बात निकलकर आ रही है, वह यह है कि उनके अनुसार हर्षिनी कुल्हरी का नाम पैनल में ही नहीं था। भाजपा प्रदेश‌ प्रवक्ता का एक जिम्मेदारी वाला पद होता है, जो मिडिया के समक्ष सरकार का पक्ष प्रस्तुत करता है। अब यदि उनके उपरोक्त बयान का पोस्टमार्टम करे तो भाजपा की कथनी और करनी मे विरोधाभास नजर आता है। भाजपा सदैव यह आलाप करती रही है कि यह पार्टी पारदर्शिता से काम करती है। संगठन में भी चुनाव बहुत ही पारदर्शिता से होते हैं। हर कार्यकर्ता के सुझावों को ध्यान में रखकर उम्मीदवार का पैनल बनाया जाता है। जब नवनियुक्त जिलाध्यक्ष का नाम पैनल में ही नहीं था तो शायद यहां भी पर्ची चली होगी, जैसा कि भजन लाल शर्मा को कांग्रेस पर्ची वाले मुख्यमंत्री से संबोधन करती रही है। विदित हो भाजपा ने झुंझुनूं उपचुनाव में वंशवाद को उखाड़ फेकने के आह्वान के साथ चुनाव प्रचार किया था। ओला परिवार के वंशवाद पर भाजपा ने कड़ा प्रहार किया था। भाजपा के नव नियुक्त जिलाध्यक्ष में वंशवाद की बू आ रही है। यदि इस मनोनयन को लेकर महिला सशक्तिकरण की दुहाई भाजपा देती है तो जिले में महिला सशक्तिकरण के रूप में संतोष अहलावत, जिनको सत्ता व संगठन का पर्याप्त अनुभव है बनाया जा सकता था। जिलाध्यक्ष के मनोनयन के रूप में जो मापदंड भाजपा ने तय कर रखे हैं, जैसा कि प्रदेश प्रवक्ता बता रहे हैं, यदि हर्षिनी कुल्हरी उन मापदंडों पर खरा नहीं उतरती है तो यह ढकोसला आखिर क्यों ? हालांकि संगठन व सरकार में पद देना भाजपा का विशेषाधिकार है लेकिन पैनल में नाम न होना व एक पद एक व्यक्ति सिध्दांत का पालन न करने को लेकर सवाल तो खड़े होंगे ही। झुंझुनूं जिला भाजपा वैसे भी अलग अलग ढाणियों मे बंटी नजर आ रही है, उसमे भाजपा प्रदेश प्रवक्ता के बयान ने आग में घी का काम किया है।‌ इसके साथ ही निश्चित रूप से उन पुराने व भाजपा के सिध्दांतों को लेकर समर्पित कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है, जो संगठन में रहकर वर्षों से भाजपा के लिए समर्पित है।

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