राजस्थान में पीने के पानी को लेकर जल है तो कल है व जल ही जीवन है के मूलमंत्र को लेकर आमजन मे जन जाग्रति को लेकर सरकार वंदे गंगाजल संरक्षण अभियान चला रही है।
इसके संदर्भ में यदि शेखावाटी की बात करें तो शेखावाटी की धरा को वीर प्रसूता भूमि होने के साथ ही भामाशाहों की जननी होने का गौरव भी प्राप्त है। इस धरा के सेठ साहूकारों की लंबी जनहित की सोच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जल संरक्षण को लेकर परम्परागत जल स्रोतों का निर्माण किया। समय परिवर्तन हुआ इन धन्ना सेठो का अपनी जन्मभूमि से लगाव कम हुआ, उसका मूल कारण उनके द्वारा जन कल्याणकारी धरोहरों पर भूमाफियाओं का कब्जा हो गया। भूमाफियाओं की जद में उनके द्वारा निर्मित मंदिर, स्कूल, तालाब, कुंए बावड़ी व यहां तक उनकी पुश्तैनी हवेलियां भी आ गई। कभी शेखावाटी की लाइफ लाइन रही काटली नदी भी दबंगों की चपेट में आ गई। यही कारण रहा कि झुंझुनूं जिले के पानी का स्तर पाताल में चला गया व जिले को डार्क जोन घोषित करना पड़ा। काली नदी को अतिक्रमण से मुक्त करवाने को लेकर जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने अपना स्थानांतरण होने से पहले आदेश निकाला था कि नदी के बहाव क्षेत्र का सीमांकन किया जाकर अतिक्रमण चिन्हित करते हुए कार्यवाही की जाए। अपने आदेश में जिला कलेक्टर ने खेतड़ी, उदयपुरवाटी, झुंझुनूं, चिड़ावा व सूरजगढ़ के उपखंड अधिकारीयों व खेतड़ी, उदयपुरवाटी, गुढ़ागौड़जी, झुंझुनूं, मंड्रेला, चिड़ावा, पिलानी के तहसीलदारो, डीएफओ, खनिज अभियंता व जल संसाधन विभाग को इस कार्य की प्रगति रिपोर्ट से भी लगातार अवगत करवाने के आदेश दिए।
वंदे गंगाजल संरक्षण अभियान के तहत जिले में परम्परागत जल स्रोतों की साफ सफाई का अभियान जोरों से चला। जिले के विधायकों, भारतीय जनता पार्टी के संगठन के पदाधिकारीयो व कार्यकर्ताओं ने प्रभारी मंत्री व प्रदेश के संगठन के नेताओं की मौजूदगी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के साथ ही फोटो सैशन हुआ। यह अभियान फोटो सैशन में ही सिमटकर न रह जाए, इसको लेकर सरकार को सोचना होगा। बरसात का मौसम सर पर है व इन जल स्रोतों की सफाई, रख रखाव व पानी के आवक की उपलब्धता को लेकर भी गंभीरता से सोचना होगा।